● शंकराचार्य ने व्यक्त की चिंता
● शांति और स्थिरता की कामना

नरसिंहपुर।
ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 1008 महाराज ने नेपाल में हो रही उथल-पुथल पर चिंता व्यक्त की है। बता दें कि महाराजश्री इन दिनों मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में अपने गुरु ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के परमहंसी गंगा आश्रम पर अनुष्ठान कर रहे हैं।
स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि नेपाल सदियों से सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है। हमारे लिए केवल वह एक पड़ोसी देश नहीं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परिवार का अभिन्न अंग है।
महाराजश्री ने कहा कि पशुपतिनाथ की भूमि पर जो भी उथल-पुथल हो रही है, वह हम सभी के लिए चिन्ता का विषय है। उन्होंने कहा कि आज जब नेपाल में कुछ लोग अपनी पहचान और परम्पराओं से दूर जाने का प्रयास कर रहे हैं, हमें उन्हें स्मरण कराना होगा कि उनकी सच्ची शक्ति और समृद्धि उनकी सनातन जड़ों में ही निहित है। इतिहास गवाह है कि जिन समाजों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत क सम्मान किया है, वे सदैव सुखी और समृद्ध रहे हैं।
उन्होंने नेपाल के निवासियों से यह आह्वान किया कि वे किसी भी बाहरी प्रभाव या आन्तरिक संघर्ष के कारण अपने धार्मिक और नैतिक मूल्यों को न त्यागें। प्रेम, शान्ति और भाईचारा ही वह मार्ग है, जो सभी चुनौतियों से पार दिला सकता है। सभी धर्मों और विचारों का सम्मान करते हुए, हमें अपने सनातन धर्म की गरिमा को बनाए रखना चाहिए। महाराजश्री ने कहा कि हम भारतवासी नेपाल के साथ खड़े हैं। हमारे रिश्ते केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक भी हैं। हम नेपाल के लोगों के लिए शान्ति, स्थिरता और समृद्धि की कामना करते हैं। पशुपतिनाथ सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें।
