
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर किया जाने वाला वट सावित्री व्रत इस वर्ष 10 जून, मंगलवार को रखा जाएगा। पूर्णिमा तिथि 10 जून सुबह 11:35 बजे से शुरू होकर 11 जून दोपहर 1:13 बजे तक रहेगी।
यह व्रत पति की दीर्घायु, संतान सुख और घर की सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है।
पूजा विधि
- सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें।
- शुभ मुहूर्त में (अभिजीत मुहूर्त: 11:59 से 12:53) वट वृक्ष के नीचे पूजा करें।
- टोकरी में सात अनाज, ब्रह्मा और सावित्री की मूर्ति रखें।
- शिव-पार्वती, यमराज और सावित्री-सत्यवान की पूजा करें।
- वट वृक्ष की 11 या 21 परिक्रमा करें, कच्चा सूत लपेटें और दीपक जलाएं।
- घर आकर बुजुर्गों का आशीर्वाद लें और व्रत कथा सुनें।
व्रत कथा सार
राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री ने अल्पायु सत्यवान से विवाह किया। जब यमराज सत्यवान के प्राण ले जाने लगे तो सावित्री उनके पीछे चल पड़ी। अपनी दृढ़ता और तप से उसने यमराज से सत्यवान के प्राण वापस ले लिए। यह व्रत नारी शक्ति, संकल्प और श्रद्धा का प्रतीक है।