● सूर्यकांत उपाध्याय

बाहर बारिश हो रही थी और अंदर क्लास चल रही थी।
तभी टीचर ने बच्चों से पूछा –
“अगर मैं तुम सबको 100–100 रुपये दूँ, तो तुम क्या-क्या खरीदोगे?”
किसी ने कहा – “मैं वीडियो गेम खरीदूँगा।”
किसी ने कहा – “मैं क्रिकेट का बैट खरीदूँगा।”
किसी ने कहा – “मैं अपने लिए प्यारी-सी गुड़िया खरीदूँगी।”
तो किसी ने कहा – “मैं ढेर सारी चॉकलेट्स खरीदूँगी।”
लेकिन एक बच्चा चुपचाप सोच में डूबा हुआ था।
टीचर ने उससे पूछा – “तुम क्या सोच रहे हो? तुम क्या खरीदोगे?”
बच्चा बोला –
“टीचर जी, मेरी माँ को थोड़ी धुंधली दिखाई देता है। मैं उनके लिए एक चश्मा खरीदूँगा।”
टीचर ने पूछा –
“लेकिन बेटा, तुम्हारी माँ के लिए चश्मा तो तुम्हारे पापा भी खरीद सकते हैं। तुम्हें अपने लिए कुछ नहीं खरीदना?”
बच्चे ने जो जवाब दिया, उसे सुनकर टीचर की आँखें भर आईं।
बच्चा बोला –
“मेरे पापा अब इस दुनिया में नहीं हैं। मेरी माँ दूसरों के कपड़े सिलकर मुझे पढ़ाती हैं। लेकिन आँखों की कमज़ोरी की वजह से वे ठीक से सिलाई नहीं कर पातीं। इसलिए मैं उन्हें चश्मा देना चाहता हूँ, ताकि वे ठीक से सिलाई कर सकें और मैं मन लगाकर पढ़ सकूँ। जब बड़ा आदमी बन जाऊँगा तो माँ को हर सुख दूँगा।”
टीचर ने भावुक होकर कहा –
“बेटा, यही तुम्हारी सबसे बड़ी कमाई है। ये 100 रुपये मेरे वादे के अनुसार और 100 रुपये मैं तुम्हें उधार दे रहा हूँ। जब कभी कमाओ तो लौटा देना। मेरी यही इच्छा है कि जब तेरे सिर पर हाथ फेरूँ तो मुझे गर्व महसूस हो।”
20 वर्ष बाद…
बाहर बारिश हो रही है और अंदर क्लास चल रही है।
अचानक स्कूल के बाहर जिला कलेक्टर की बत्ती वाली गाड़ी आकर रुकती है।
पूरा स्कूल स्टाफ सतर्क हो जाता है, सन्नाटा छा जाता है।
मगर यह क्या?
जिला कलेक्टर दौड़कर एक वृद्ध टीचर के पैरों में गिर जाते हैं और कहते हैं –
“सर, मैं… आपके उधार के 100 रुपये लौटाने आया हूँ।”
पूरा स्कूल स्तब्ध रह जाता है।
वृद्ध टीचर झुककर नौजवान कलेक्टर को उठाते हैं, अपनी बाँहों में भर लेते हैं और भावुक होकर रो पड़ते हैं।
