सरयू जयंती:अयोध्या में महाआरती का आयोजन

अयोध्या। सरयू जयंती वह पावन तिथि है जब भारत की एक प्रमुख और पूजनीय नदी सरयू के प्राकट्य का उत्सव मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के अयोध्या क्षेत्र में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
सरयू नदी का धार्मिक महत्व
सरयू नदी का वर्णन वेदों, पुराणों और रामायण जैसे महाकाव्यों में मिलता है। यह नदी भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या से होकर बहती है और उन्हें ही नहीं, ऋषि-मुनियों, संतों और श्रद्धालुओं के लिए भी पवित्र मानी जाती है। मान्यता है कि सरयू स्नान से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सरयू जयंती पर विशेष पूजन-स्नान
इस दिन अयोध्या सहित अनेक तीर्थस्थलों पर भक्तगण प्रातःकाल सरयू स्नान करते हैं, पूजन-अर्चन करते हैं और व्रत का पालन करते हैं। कई स्थानों पर भगवद्भजन, राम कथा, और संकीर्तन का आयोजन भी होता है। नदी के घाटों को दीपों और पुष्पों से सजाया जाता है।
सरयू जयंती हमें यह स्मरण कराती है कि नदियां केवल जल स्रोत नहीं बल्कि संस्कृति, श्रद्धा और जीवनधारा का प्रतीक हैं। यह पर्व जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण और अध्यात्मिक शुद्धता की प्रेरणा भी देता है। सरयू जयंती श्रद्धा, सेवा और संस्कृति का संगम है, जो हमें प्रकृति और धर्म के प्रति अपने कर्तव्यों की याद दिलाता है।
अयोध्या में महाआरती और झांकियों का आयोजन
अयोध्या में बुधवार को ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर मां सरयू की जयंती धूमधाम से मनाई जाएगी। विभिन्न धार्मिक संस्थाएं दर्जनों घाटों पर मां सरयू की झांकियां सजाएंगी और महाआरती करेंगी। मंगलवार से ही अखंड रामायण पाठ, दुग्धाभिषेक और अन्य धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो गए। अंजनेय सेवा संस्थान द्वारा आयोजित 13वें श्री सरयू जयंती महोत्सव में बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, यूपी के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और संघ के प्रांत प्रचारक कौशल किशोर शामिल हुए। कार्यक्रम में व्यासपीठ पूजन और कथा का आयोजन हुआ। कथा प्रवक्ता आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण ने मनु जी की तपस्या और भगवान के दिव्य स्वरूप का वर्णन किया।