
● मुंबई। भारत में बना मैसेजिंग ऐप ‘अरट्टई’ (Arattai) इन दिनों सुर्खियों में है। सरकारी प्रोत्साहन और स्वदेशी ऐप्स को लेकर बढ़ती जिज्ञासा के चलते इसके डाउनलोड कुछ ही दिनों में 100 गुना तक बढ़ गए हैं। इसमें ऑडियो-वीडियो कॉल, ग्रुप चैट, दस्तावेज साझा करना और क्रिएटर्स के लिए चैनल जैसी सभी आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। पहली नज़र में यह व्हाट्सऐप का मजबूत विकल्प लगता है। लेकिन असली सवाल गोपनीयता को लेकर है।
अरट्टई में वॉयस और वीडियो कॉल्स एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन से सुरक्षित रहती हैं, मगर टेक्स्ट चैट्स पर यह सुरक्षा लागू नहीं है। इसका अर्थ यह है कि आपके संदेश उस रूप में ‘एन्क्रिप्ट’ नहीं होते, जिन्हें केवल भेजने वाला और पाने वाला ही पढ़ सके। Zoho कंपनी इन्हें अपने सर्वर पर रखती है, जिससे कंपनी या किसी साइबर हमले की स्थिति में तीसरे पक्ष की पहुँच की संभावना बनी रहती है।

Zoho का दावा है कि सारा डाटा भारत में सुरक्षित रूप से संग्रहित है और किसी थर्ड पार्टी से साझा नहीं किया जाता। यह सकारात्मक बात है पर यह एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के बराबर नहीं है-जो आज के समय में निजी मैसेजिंग की सबसे मजबूत सुरक्षा मानी जाती है। अगर आप व्हाट्सऐप, सिग्नल या आई-मैसेज का उपयोग करते हैं, तो ऐसी गोपनीयता आपके लिए सामान्य बात होगी।
अगर आप एक देशी, सुविधाजनक और फीचर-रिच ऐप चाहते हैं, तो यह निश्चित रूप से आकर्षक है। लेकिन अगर संदेशों की गोपनीयता आपके लिए सर्वोपरि है तो अरट्टई को उसपर काम करना होगा।
