● स्वादानुसार भी नमक का सेवन गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है

शोले फिल्म का एक मशहूर सीन याद कीजिए। जब गब्बर, कालिया की कनपटी पर बंदूक तानते हुए कहता है, “अब तेरा क्या होगा रे कालिया?” और कालिया बोलता है, “सरदार, मैंने आपका नमक खाया है!” तब गब्बर कहता है, “ले, अब गोली खा!”
यह उदाहरण हमें एक महत्वपूर्ण तथ्य की ओर ध्यान दिलाता है। जब हम भोजन में अधिक नमक लेते हैं, तो जीवन भी कुछ इसी तरह कहता है, “ले, अब गोली खा!” अत्यधिक नमक खाने से शरीर में कई समस्याएँ उत्पन्न होती हैं और डॉक्टर अक्सर दवा लेने की सलाह देते हैं।
भोजन में अधिक नमक का उपयोग दुनियाभर में बीमारियों की जड़ बनता जा रहा है। भारत में हर साल करीब 15 लाख लोग असमय मृत्यु का शिकार होते हैं। दुनिया में सबसे अधिक नमक का सेवन भारतीय ही करते हैं। मैं अधिक नमक खाने की बात नहीं कर रहा बल्कि स्वादानुसार नमक लेने पर भी आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ।
स्वादानुसार भी नमक लेने पर असमय सिर के बाल झड़ना, किडनी में सूजन या खराबी, हृदय रोग, लकवा, उच्च रक्तचाप, खून की कमी, मोटापा और गुस्सा जैसी कई बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं और कभी-कभी अचानक टूट भी जाती हैं।
भारत की भौगोलिक स्थिति देखें तो पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश और उत्तरी राजस्थान में लोग अधिक गुस्सैल पाए जाते हैं। इसका एक कारण भोजन में अधिक नमक है। अधिक नमक खाने से प्यास बढ़ती है, व्यक्ति ज्यादा पानी पीता है और किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। लंबे समय तक ऐसा होने से किडनी फेल हो सकती है।

लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप नमक बिल्कुल छोड़ दें। अत्यधिक रोकने पर कब्ज, मितली, उल्टी, दस्त और रक्तचाप जैसी समस्याएँ उभर सकती हैं। एक औसत व्यक्ति को रोजाना लगभग 3 ग्राम से भी कम नमक का सेवन करना चाहिए।
नमक के फायदे भी कम नहीं हैं। नियंत्रित मात्रा में सेवन करने पर यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है, भोजन को स्वादिष्ट बनाता है, शरीर में जल संतुलन बनाए रखता है और डिहाइड्रेशन से बचाता है। नमक में मौजूद सोडियम दिमाग की गतिविधियों के बीच तालमेल बिठाकर याददाश्त तेज करने और एकाग्रता बढ़ाने में मदद करता है।
नमक तनाव के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है और अवसाद जैसी बीमारियों से लड़ने में सहयोग देता है। इसके एंटीमाइक्रोबियल गुण रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होते हैं। नमक थायरॉइड हार्मोन को नियंत्रित करने में भी महत्वपूर्ण है। पर्याप्त सेवन मेलाटोनिन और अन्य हार्मोन के संतुलन में मदद करता है, जो सोने-जागने के चक्र और तनाव पैदा करने वाले न्यूरोट्रांसमीटर को नियंत्रित करते हैं। उचित मात्रा में नमक पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है।
ध्यान रहे, कोई भी प्रकार का नमक सेंधा, लाल, काला, सादा या समुद्री, औसत या उससे अधिक सेवन करने पर नुकसानदायक होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, एक व्यस्क व्यक्ति को औसतन 5 ग्राम नमक लेना चाहिए, जबकि आधुनिक चिकित्सा सलाह देती है कि 3 ग्राम से कम ही सुरक्षित है।
स्वस्थ जीवन के लिए अपने भोजन में नमक की मात्रा नियंत्रित करें। नमक की खपत को कम करने से दुनिया में लाखों लोगों को असमय मृत्यु से बचाया जा सकता है।
अपना ख्याल रखें, स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें!

