
● अयोध्या । राम मंदिर भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दृष्टिकोण अयोध्या तक सीमित नहीं बल्कि वैश्विक है। उनका मानना है कि राम मंदिर केवल राष्ट्र मंदिर नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय राम मंदिर बने, जिसे हर क्षेत्र, हर वर्ग और हर विचारधारा के लोग समान भाव से स्वीकार करें। जब यह सपना साकार होता दिखता है तो प्रधानमंत्री को आत्मिक संतोष मिलता है।
25 नवंबर का दिन अयोध्या और पूरे देश के लिए ऐतिहासिक साबित होगा। इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भव्य राम मंदिर के शिखर पर 21 फीट ऊंचे ध्वज का आरोहण करेंगे। इस ध्वजारोहण के साथ ही मंदिर निर्माण पूर्ण होने की औपचारिक घोषणा की जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी इस अवसर पर पूरे विश्व को यह संदेश देंगे कि सदियों की आस्था और तपस्या का प्रतीक राम मंदिर अब पूर्ण रूप में तैयार है।
ध्वज की रूपरेखा, रंग और प्रतीक चिन्ह तय करने की जिम्मेदारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को सौंपी गई है। यह ध्वज न केवल आस्था का प्रतीक होगा बल्कि भारत की आध्यात्मिक पहचान और सांस्कृतिक एकता का द्योतक भी बनेगा।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर का भूमि पूजन किया था और 22 जनवरी 2024 को उनके ही हाथों भव्य महल में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी। अब मंदिर के निर्माण कार्य के पूर्ण होने पर वे ही ध्वजारोहण कर इस दिव्य यात्रा का समापन करेंगे।
ध्वजारोहण का यह ऐतिहासिक आयोजन राम विवाह पंचमी की शुभ तिथि पर होगा। इससे पहले 21 नवंबर से 25 नवंबर तक पांच दिवसीय वैदिक अनुष्ठान संपन्न किए जाएंगे, जिनमें अयोध्या और काशी के प्रसिद्ध वैदिक आचार्य भाग लेंगे।
राम मंदिर का यह क्षण केवल अयोध्या या भारत का नहीं बल्कि समूचे मानव समाज के लिए मर्यादा, श्रद्धा और आध्यात्मिकता का प्रतीक बनकर युगों तक स्मरणीय रहेगा।
