■ सूर्यकांत उपाध्याय

राजस्थान के जयपुर के पास एक छोटी रियासत हुआ करती थी। उसके राजा एक शाम बैठे थे। उसी समय उनका एक मुसलमान नौकर किसी काम से वहाँ आया। राजा की नजर अचानक उसके गले में लटकी तुलसी की माला पर पड़ गई।
राजा ने चकित होकर पूछा, “क्या बात है, क्या तू हिन्दू बन गया है?”
नौकर ने उत्तर दिया, “नहीं, हिन्दू नहीं बना हूँ।”
राजा ने फिर पूछा, “तो फिर तुलसी की माला क्यों धारण की है?”
नौकर बोला, “राजासाहब, तुलसी की माला की बड़ी महिमा है।”
राजा ने पूछा , “क्या महिमा है?”
नौकर ने कहा, “राजासाहब, मैं आपको एक सत्य घटना सुनाता हूँ। एक बार मैं अपने ननिहाल जा रहा था। सूरज ढलने को था। तभी मुझे दो छायापुरुष दिखाई दिए, जिन्हें हिन्दू लोग यमदूत कहते हैं। उनकी डरावनी आकृति देखकर मैं घबरा गया। तब उन्होंने कहा,’तेरी मौत अभी नहीं है। अभी एक युवक किसान बैलगाड़ी भगाता-भगाता आएगा। इस गड्ढे में उसकी बैलगाड़ी का पहिया फँस जाएगा और बैलों के कन्धे पर रखा जुआ टूट जाएगा। बैलों को उत्तेजित करके हम उद्दण्ड बनाएंगे; तब दायीं ओर जो बैल होगा, वह विशेष उद्दण्ड होकर किसान के पेट में अपना सींग घुसा देगा और उसकी मृत्यु हो जाएगी। हम उसी की जीवात्मा लेने आए हैं।’
राजासाहब, खुदा की कसम, मैंने उन यमदूतों से हाथ जोड़कर प्रार्थना की कि ‘मुझे यह घटना देखने की इजाजत मिल जाए।’ उन्होंने इजाजत दे दी और मैं दूर एक पेड़ के पीछे छुप गया। थोड़ी ही देर में उस कच्चे रास्ते से बैलगाड़ी दौड़ती हुई आई और जैसा उन्होंने कहा था, ठीक वैसा ही हुआ। बैलगाड़ी को झटका लगा, बैल उत्तेजित हुए और युवक किसान उन पर नियंत्रण नहीं रख पाया।
बैल धक्का मारते-मारते उसे दूर ले गए और उसके पेट में सींग लग गया; वह युवक वहीं मर गया।”
राजा ने पूछा, “फिर क्या हुआ?”
नौकर बोला, “हजूर, युवक की मौत के बाद मैं पेड़ की ओट से बाहर आया और दूतों से पूछा, ‘इसकी रूह कहाँ है, कैसी है?’
उन्होंने कहा, ‘वह जीव हमारे हाथ में नहीं आया। मृत्यु वहीं हुई, किन्तु वहाँ तुलसी का पौधा था। जहाँ तुलसी होती है, वहाँ मृत्यु होने पर जीव भगवान श्रीहरि के धाम में चला जाता है। पार्षद आकर उसे ले जाते हैं।’
नौकर बोला, ‘हुजूर, तभी से मुझे ऐसा हुआ कि मरने के बाद मुझे बिश्त में जाने की आशा रहे, न कि दोजख में। इसलिए मैंने सोचा कि मैं तुलसी की माला पहन लूँ, ताकि कम से कम भगवान के धाम तक पहुँचने का मौका मिल सके। तभी से मैं तुलसी की माला पहनने लगा।”
