■ भाईंदर में श्रीमदभागवत कथा का द्वितीय दिवस

● मुंबई।
‘नरसी जी जैसी भक्ति होनी चाहिए। निश्छल, निरपेक्ष और पूर्ण समर्पण से भरी हुई। नरसी मेहता जी की भक्ति में न दिखावा था, न कोई स्वार्थ। उन्होंने अपने आचरण से यह सिद्ध किया कि सच्ची भक्ति वही है जिसमें अहंकार का लोप हो जाए और ईश्वर का नाम ही सांसों का आधार बन जाए। उनके लिए सबसे बड़ा सत्य केवल भगवान श्रीकृष्ण थे। कथा हमें भगवान के जीवन, उनके आदर्शों और उनके उपदेशों से जोड़ती है।’ भाईंदर में श्रीमदभागवत कथा के द्वितीय दिवस पर उक्त उपदेश पूज्यश्री देवकीनंदन ठाकुर जी ने दिए।
- महाराजश्री के श्रीमुख से भागवत कथा 8 नवम्बर तक होगी। कथा भाईंदर-पूर्व स्थित बालासाहेब ठाकरे मैदान, इन्द्रलोक फेज-3 में प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक होगी।
महाराज श्री ने कहा कि जब मनुष्य धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ता है, तब कुछ लोग उसे रोकने का प्रयास करते हैं। ऐसे लोग, जो पाप की प्रवृत्ति में फंसे रहते हैं, दूसरों को भी उसी अंधकार में धकेलने का प्रयत्न करते हैं। वे धर्म के कार्यों का उपहास उड़ाते हैं, परंतु जो पुण्यात्मा होते हैं, जो सच्चे हृदय से भगवान को चाहते हैं, वे हमेशा धर्म के कार्यों में सहयोग देते हैं।

उन्होंने कहा कि आज लोग कथा सुनने के बजाय सिर्फ रील्स देखना पसंद करते हैं। भगवान की कथा केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मा का आहार है। वह हमारे जीवन का मार्गदर्शन करती है, हमारे भीतर की अशांति को समाप्त करती है और हमें धर्म के सच्चे अर्थ समझाती है। हमें केवल भक्त दिखना नहीं है बल्कि भक्त बनना चाहिए। भक्त वह नहीं जो केवल नाम जपे या पूजा के दिखावे करे।सच्चा भक्त वह है जो अपने आचरण में भक्ति को उतारे, जो विनम्रता, करुणा और सत्य के मार्ग पर चले।

महाराज ने कहा कि हमारा कल्याण हमारे सिवा कोई नहीं कर सकता। जब तक हम स्वयं अपने भीतर परिवर्तन नहीं लाते, तब तक ईश्वर भी हमारी सहायता नहीं कर सकते। कथा सुनना, संतों का संग करना, भक्ति करना, यह सब तभी सार्थक होता है जब हम उनके उपदेशों को अपने जीवन में उतारें।
