● दिल्ली सरकार ‘ग्रीन पटाखों’ के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची

◆ नई दिल्ली। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिवाली पर प्रमाणित ‘ग्रीन पटाखों’ के उपयोग की अनुमति दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने कहा कि दिवाली भारतीय संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है और दिल्ली में करोड़ों लोग इसे परंपरागत रूप से मनाते हैं। इसी भावना के तहत उनकी सरकार ने अदालत से यह अपील की है कि नागरिकों को सीमित स्तर पर ग्रीन पटाखों के उपयोग की अनुमति दी जाए।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर को अपने आदेश में प्रमाणित निर्माताओं को केवल इस शर्त पर ग्रीन पटाखे बनाने की मंजूरी दी थी कि वे बिना अदालत की अनुमति के इन्हें दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में नहीं बेचेंगे।

दिल्ली में पिछले कई वर्षों से उच्च प्रदूषण स्तर के कारण पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लागू है। दिवाली के दौरान शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अक्सर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुँच जाता है, जिससे राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), दिल्ली सरकार और सुप्रीम कोर्ट को बार-बार हस्तक्षेप करना पड़ता है।
2019 से दिल्ली में हर तरह के पटाखों पर प्रतिबंध लागू है, जिसमें ग्रीन पटाखे भी शामिल हैं। हालाँकि, 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकारें प्रमाणित ग्रीन पटाखों की अनुमति दे सकती हैं, लेकिन तत्कालीन दिल्ली सरकार ने प्रदूषण की गंभीरता देखते हुए पूर्ण प्रतिबंध जारी रखा।

हालाँकि, इस वर्ष सितंबर में अदालत ने कड़ी शर्तों के साथ ग्रीन पटाखों के निर्माण पर से प्रतिबंध हटाया। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने कहा कि प्रमाणित निर्माता दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखे बना सकते हैं, लेकिन इन्हें वहीं बेचने की अनुमति नहीं होगी। इसके लिए निर्माताओं के पास राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान और पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन से स्वीकृति लेना आवश्यक है।
● क्या है ग्रीन पटाखे? : सीएसआईआर-नीरी की एक स्टडी के अनुसार ग्रीन पटाखे वायु और ध्वनि प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं। इसकी रासायनिक सामग्री में फर्क होता है। ग्रीन पटाखों में हानिकारक रसायनों जैसे बेरियम, नाइट्रेट, पोटैशियम क्लोरेट, सल्फर आदि का इस्तेमाल कम या बिल्कुल नहीं होता।
