◆ विदेशों में करोड़ों की कमाई, उद्देश्य अपने गाँव की भलाई

● अहमदाबाद । गुजरात के आनंद जिले का छोटा-सा गाँव धर्मज आज भारत का सबसे समृद्ध गाँव कहलाता है। इसकी कहानी 1895 में शुरू हुई, जब गाँव के युवाओं ज्योतराम काशीराम पटेल और चतुरभाई पटेल ने अफ्रीका की ओर रुख किया। फिर प्रभुदास पटेल ‘मैनचेस्टरवाला’ बने और गोविंदभाई पटेल ने युगांडा में तंबाकू व्यापार शुरू किया। धीरे-धीरे धर्मज के लोग ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका तक फैल गए। आज लगभग 3,000 से अधिक परिवार विदेशों में बस चुके हैं पर दिल आज भी गाँव में धड़कता है।
2007 में इन प्रवासी धर्मजियों ने गाँव के विकास के लिए संगठित प्रयास शुरू किया। परिणाम गाँव में सीमेंटेड सड़कें, स्वच्छ गलियाँ और आधुनिक सुविधाएँ। स्वच्छता में धर्मज शहरों को मात देता है। यहाँ 1972 से भूमिगत नाली व्यवस्था है। मनोरंजन के लिए सूरजबा पार्क में स्विमिंग पूल, नौकायन और हरियाली भरे उद्यान हैं। पशुपालकों के लिए 50 बीघा भूमि पर चारा उगाया जाता है।
सिर्फ 11,333 आबादी वाले इस गाँव में 11 बैंक शाखाएँ हैं और 1000 करोड़ रुपये से अधिक की जमा राशि। 1959 में डेना बैंक की शाखा खुली थी और 1969 में ग्राम सहकारी बैंक की स्थापना पूर्व वित्त मंत्री एच.एम. पटेल ने की थी। गाँव की सड़कों पर मर्सिडीज, ऑडी और बीएमडब्ल्यू जैसी कारें आम हैं, और मकानों पर विदेशों के नाम ‘रोडेशिया हाउस’, ‘फिजी रेजिडेंस’ लिखे हैं।
हर साल 12 जनवरी को ‘धर्मज दिवस’ मनाया जाता है, जब प्रवासी नागरिक लौटकर अपनी मिट्टी से जुड़ते हैं।
