◆ शिव प्रतीक के निर्देशन में कलाकारों ने रचा अभिनय का उत्कर्ष, समीक्षकों ने की सराहना

● मुंबई । मीरा रोड स्थित विरूंगला केन्द्र की कल की शाम अभिनय कला के नाम दर्ज हो गई। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली से अभिनय की पढ़ाई कर चुके युवा निर्देशक शिव प्रतीक के निर्देशन में प्रसिद्ध नाटककार मोहन राकेश द्वारा लिखित नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ का सफल मंचन किया गया।
यह प्रस्तुति स्वर संगम फाउंडेशन द्वारा आयोजित की गई थी। लेखकों, रंगकर्मियों, पत्रकारों और नाट्यप्रेमियों से भरे सभागार में कलाकारों ने हिमाचल की तलहटी में स्थित कालिदास के शांत, रचनात्मक और अंततः सत्ता मोह में उलझे जीवन को जीवंत कर दिया। उज्जैन प्रस्थान, सत्ता सुख का अनुभव और फिर उससे उपजे मोहभंग को दर्शाने वाला यह नाटक करीब एक घंटे चालीस मिनट तक दर्शकों को बांधे रखता रहा। सभागार में छाई स्तब्धता और एकाग्रता स्वयं इस प्रस्तुति की सफलता का प्रमाण बनी।

नाटक पर प्रतिक्रिया देते हुए समीक्षक और लेखक विनोद दास ने कहा कि इस नाटक से वर्तमान में सत्ता मोह में फंसे लेखकों को प्रेरणा लेनी चाहिए और सत्ता के छद्म आकर्षण से बचना चाहिए। उन्होंने स्वर संगम फाउंडेशन को इस उत्कृष्ट आयोजन के लिए धन्यवाद देते हुए कलाकारों की सीमित साधनों में दी गई प्रभावशाली प्रस्तुति की प्रशंसा की।
नाट्य समीक्षक अनूप सेठी ने नाटक की कलात्मकता और विषयगत गहराई की सराहना करते हुए इस तरह के आयोजनों की निरंतरता को आवश्यक बताया।
दर्शकदीर्घा में समाजशास्त्री पुलक चक्रवर्ती, प्रसिद्ध लेखक धीरेन्द्र अस्थाना, नाट्यकर्मी अजय रोहिल्ला और आर. एस. विकल सहित हृदयेश मयंक, हरि मृदुल, रमन मिश्र, ललिता अस्थाना, मिथिलेश प्रियदर्शी, निशा भारती, संदीप माने, रीता दास राम, दीपक खेर, बीर बहादुर सिंह, शफीक खान, दिनेश गुप्त और विनीता दास की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
