
● प्रतापगढ़। परानूपुर, कुंडा (श्रृंगवेरपुर) में चल रही दिव्य रामकथा के षष्ठम दिवस पर पूज्यश्री प्रेमभूषण महाराज के आगमन से कथा-स्थल भाव-विभोर हो उठा। राजन महाराज के व्यासत्व में 11 से 19 अक्तूबर तक प्रतिदिन अपराह्न 3 से सायं 7 बजे तक चल रही यह रामकथा, आनंद पांडे के संकल्प और लोकप्रिय विधायक कुँवर रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) के संरक्षण में आयोजित हो रही है।
प्रेमभूषण महाराज को 14 वर्षों बाद श्रृंगवेरपुर की पावन धरा पर पाकर राजन महाराज भाव-विह्वल हो उठे। उन्होंने कहा, “आज मेरे पूज्य महाराजश्री का साक्षात् आशीर्वाद मिलना मेरा और आप सबका परम सौभाग्य है।” पूज्य प्रेमभूषण महाराज ने स्नेहपूर्वक उन्हें आलिंगन देकर आशीर्वाद प्रदान किया और कहा कि यह दिव्य कथा समस्त जनों पर भगवान की कृपा बरसा रही है तथा आगे भी बरसती रहेगी।

श्रृंगवेरपुर प्रसंग का वर्णन करते हुए पूज्यश्री ने कहा कि कुशा की चटाई पर भगवान राम और सीता मइया सो रहे हैं, लक्ष्मण जी जाग रहे हैं, किंतु निषादराज रो रहे हैं। यही जीव की गति है क्योंकि रामजी ब्रह्म हैं जो सुख-दुख से परे हैं। उन्होंने कहा कि मन, वचन और कर्म से परमार्थ कार्य करना ही जीवन की सार्थकता है।
अयोध्या काण्ड का वर्णन करते हुए राजन महाराज ने कहा कि भजन बचपन से करने वाला ही वृद्धावस्था में भजन कर पाता है। उन्होंने “सोने वाले जाग मुसाफिर संसार मुसाफिरखाना है” भजन सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कहा कि परिस्थिति को स्वीकार करने वाला व्यक्ति विपत्ति में भी मुस्कराता है। सद्गुरु की कृपा से ही मन निर्मल होता है।

राजन महाराज ने कैकेयी माता की मर्यादा की सराहना करते हुए कहा कि कौशल्या माता ने राम को जन्म दिया पर कैकेयी माता ने उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रतिष्ठित किया। उन्होंने संदेश दिया कि श्रेष्ठ कार्यों में विलंब नहीं करना चाहिए।
श्रृंगवेरपुर घाट पर कथा सुनने पहुंचे हजारों श्रद्धालु “जय श्रीराम” के उद्घोष से भावविभोर हो उठे। इस अवसर पर सच्चा बाबा आश्रम के ब्रह्मचारी महाराज, प्रयागराज के कमिश्नर के. एन. श्रीवास्तव, निषादराज वंशज डॉ. पी. के. कश्यप, भदोही से प्रकाशचंद दूबे, बलिया से राकेश सिंह सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।
