■ ‘एक दक्ष प्रशासक के भीतर है कोमल मन’ – हरीश पाठक

मुंबई।
“कविता मानवता को जोड़ने का कार्य करती है। माँ की लोरी में भी कविता होती है। कविता समाज को सकारात्मक परिवर्तन और बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा देती है।” यह विचार प्रख्यात कवि, कथाकार, इतिहासवेत्ता और पूर्व आईएएस डॉ. संजय अलंग ने चित्र नगरी संवाद मंच द्वारा आयोजित उनके कविता पाठ और कवयित्री सम्मेलन में व्यक्त किए।
कथाकार और वरिष्ठ पत्रकार हरीश पाठक ने कहा, “आज हम उस कवि को सुन रहे हैं जो एक दक्ष प्रशासक होने के साथ ही संवेदनशील हृदय के धनी हैं। वे जीवन के क्रंदन और स्पंदन के कवि हैं।”

इस अवसर पर डॉ. अलंग ने अपनी चर्चित कविता ‘बंटे रंग’ (जो महाराष्ट्र के पाठ्यक्रम में शामिल है) सहित ‘माध्यम’, ‘गुलेल’, ‘एक टुकड़ा आसमान’ और ‘बहन का साइकिल सीखना’ जैसी रचनाओं का प्रभावशाली पाठ किया, जिससे उपस्थित श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो उठे।
इसके पश्चात आयोजित कवयित्री सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवयित्री एवं विविध भारती की पूर्व कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती कमलेश पाठक ने की। संचालन डॉ. मधुबाला शुक्ल ने किया।

कार्यक्रम में डॉ. प्रमिला शर्मा, डॉ. अलका अग्रवाल, रोशनी किरण, दमयंती शर्मा, आशु शर्मा, आभा दवे, रीमा राय सिंह, माया मेहता, रेणु शर्मा, अम्बिका झा, सीमा अग्रवाल, शोभा स्वप्निल, सविता दत्त और प्रज्ञा पद्मजा ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं।
कार्यक्रम के संयोजक कवि एवं मंच संचालक देवमणि पांडेय थे।
