■ वैज्ञानिकों ने खोजा धरती से चार गुना बड़ा ‘सुपरअर्थ’

● नई दिल्ली ।
मानव सभ्यता के लिए एक नई आशा की खबर सामने आई है। वैज्ञानिकों ने हमारे सौर मंडल के बेहद करीब एक ऐसे ग्रह की खोज की है जहां जीवन संभव हो सकता है। यह नया ग्रह, जिसे ‘सुपरअर्थ’ GJ 251C नाम दिया गया है, आकार में पृथ्वी से लगभग चार गुना बड़ा है और यह हमसे मात्र 20 प्रकाश वर्ष (Light Years) की दूरी पर स्थित है। अंतरिक्ष के पैमाने पर यह दूरी बेहद कम मानी जाती है।
यह ग्रह एक धुंधले लाल बौने तारे के चारों ओर चक्कर लगा रहा है और इसकी स्थिति उस विशेष क्षेत्र में है जिसे वैज्ञानिक ‘गोल्डीलॉक्स जोन’ कहते हैं यानी वह इलाका जहां न ज्यादा गर्मी है, न ज़्यादा ठंडक, जिससे जीवन के अनुकूल परिस्थितियां बन सकती हैं।
इस खोज को पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अंजाम दिया है और इसे ‘द एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल’ में प्रकाशित किया गया है। विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्र विभाग के प्रोफेसर सुव्रत महादेवन, जो इस अध्ययन के सह-लेखक हैं, का कहना है, “हम ऐसे ग्रहों की तलाश इसलिए करते हैं क्योंकि यही हमें पृथ्वी से बाहर जीवन खोजने का सबसे बड़ा अवसर देते हैं।”
यह उपलब्धि लगभग 20 वर्षों की लगातार निगरानी और शोध का परिणाम है। इस खोज में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ‘हैबिटेबल-ज़ोन प्लैनेट फाइंडर’ नामक विशेष यंत्र ने, जिसे पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में ही विकसित किया गया था।
यह उपकरण किसी ग्रह की उपस्थिति को उसके तारे की गुरुत्वाकर्षण से उत्पन्न हल्की डगमगाहट को पकड़कर पहचानता है। जब कोई ग्रह अपने तारे के चारों ओर परिक्रमा करता है तो उसके आकर्षण बल से तारे की गति में सूक्ष्म कंपन उत्पन्न होता है। यही कंपन GJ 251C की पहचान का आधार बना। वैज्ञानिकों ने तारे की गति में हर 54 दिन में आने वाले खास संकेत को दर्ज किया जो इस संभावित जीवनयुक्त ग्रह की पुष्टि करता है।
2025 की यह खोज न केवल अंतरिक्ष अनुसंधान की एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह प्रश्न भी उठाती है क्या हम सचमुच इस विशाल ब्रह्मांड में अकेले हैं या फिर हमारे जैसे और भी संसार हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं?
