
● नई दिल्ली।
स्पेन के पब्लिक यूनिवर्सिटी ऑफ नवारे के शोधकर्ताओं ने ऐसा अभिनव त्रिआयामी प्रदर्शन तंत्र (3-D Volumetric Display) विकसित किया है जिसमें उपयोगकर्ता हवा में दिखाई देने वाले चित्रों के साथ प्रत्यक्ष रूप से क्रिया-प्रतिक्रिया कर सकते हैं। यह तकनीक भविष्य में होलोग्राम के रूप में वस्तुओं को देखने के साथ-साथ छूने का अनुभव भी दे सकेगी।
शोधकर्ताओं ने इस प्रोटोटाइप को “फ्लेक्सीवॉल” नाम दिया है। इसमें एक लचीला पारदर्शी परदा उपयोग किया गया है जो प्रति सेकंड लगभग 2,880 छवियाँ प्रदर्शित करता है। इतनी तीव्र गति से बदलती छवियाँ हमारी आँखों को एक सतत त्रिआयामी वस्तु के रूप में दिखती हैं। उपयोगकर्ता इस चित्र के आर-पार हाथ डालकर इसे घुमा या छू सकते हैं, यह अनुभव पारंपरिक स्क्रीन या वर्चुअल रियलिटी की तुलना में अधिक वास्तविक प्रतीत होता है।

शोध टीम का कहना है कि इस प्रणाली में आगे हैप्टिक तकनीक (स्पर्श-संवेदना देनेवाली तकनीक) भी जोड़ी जा सकती है, जिससे वस्तुओं को छूने या दबाव जैसी अनुभूति भी मिल सकेगी। अभी यह प्रयोगात्मक स्तर पर है, लेकिन इसके माध्यम से वर्चुअल रियलिटी, चिकित्सा, शिक्षा और डिजिटल संचार जैसे क्षेत्रों में नई संभावनाएँ खुल सकती हैं।
तकनीकी दृष्टि से यह पारंपरिक होलोग्राम नहीं है, बल्कि “वॉल्यूमेट्रिक डिस्प्ले” कहलाने वाली नवीन प्रणाली है, जिसमें प्रकाश और गतिशील सतह के संयोजन से त्रिआयामी प्रभाव उत्पन्न होता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि भविष्य में यह तकनीक ऐसे युग की शुरुआत करेगी जहाँ डिजिटल छवियाँ केवल दिखाई नहीं देंगी, बल्कि महसूस भी की जा सकेंगी।
