
अभिनेत्री प्रियामणि ने हाल ही में फिल्म इंडस्ट्री में बढ़ते “पैन इंडिया अभिनेता” जैसे लेबल पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि कलाकारों को इस तरह बाँटने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि सभी अंततः भारतीय ही हैं।
हिन्दुस्तान टाइम्स से बातचीत में प्रियामणि ने कहा, “हमें ‘पैन इंडिया’ शब्द का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। जब बॉलीवुड के कलाकार दक्षिण में काम करते हैं तो उन्हें ‘रीजनल अभिनेता’ नहीं कहा जाता। फिर दक्षिण के कलाकारों के लिए ऐसा भेदभाव क्यों? वर्षों से कमल हासन, रजनीकांत, प्रकाश राज, धनुष जैसे अभिनेता अलग-अलग भाषाओं में काम करते आए हैं, लेकिन तब उन्हें ‘पैन इंडिया’ नहीं कहा गया। वे बस ‘भारतीय अभिनेता’ थे।”
उन्होंने आगे कहा, “महत्व इस बात का है कि हम किस किरदार को निभा रहे हैं, न कि किस भाषा में। यह नई ट्रेंड बस एक मज़ाक बनकर रह गया है।”
प्रियामणि ने दर्शकों के रवैये पर भी टिप्पणी करते हुए कहा, “आजकल लोग बहुत संवेदनशील और आलोचनात्मक हो गए हैं। राय रखना ठीक है, लेकिन अति विश्लेषण या दूसरों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। किसी फिल्म को उसी रूप में देखें, जैसा वह है। सभी कलाकार मेहनत करते हैं, कभी कामयाबी मिलती है, कभी नहीं, यह सामान्य बात है।”
