■ धीरज मिश्र

आज गणेश संकष्ट चतुर्थी है। यह भगवान श्री गणेश को समर्पित वह तिथि है, जब भक्त विघ्नहर्ता की आराधना कर अपने जीवन के संकटों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। यह व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। परंतु पौष, माघ, फाल्गुन और भाद्रपद माह की संकष्ट चतुर्थी को विशेष महत्व दिया गया है।
कैसे होता है पूजन?
इस दिन श्रद्धालु प्रातः स्नान कर गणेश जी की प्रतिमा को पुष्प, दूर्वा, मोदक और लाल वस्त्र अर्पित करते हैं। व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखकर सायंकाल चंद्र दर्शन के पश्चात गणेश पूजन करते हैं। चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर ‘गणपति अथर्वशीर्ष’ या ‘संकष्ट नाशन स्तोत्र’ का पाठ किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत से जीवन के सभी विघ्न दूर होकर सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
गणेश जी का एक नाम ‘संकष्टहरण’ भी है अर्थात जो संकटों का हरण करते हैं। संकष्ट चतुर्थी का व्रत करने वाला व्यक्ति न केवल सांसारिक बाधाओं से मुक्त होता है बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी बलवान बनता है।
शास्त्रों के अनुसार यदि यह चतुर्थी मंगलवार को पड़े, तो उसे ‘अंगारकी संकष्ट चतुर्थी’ कहा जाता है और इसका फल अनेक व्रतों के समान होता है। इस दिन गणेश जी की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है।
भक्त इस अवसर पर ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का जप करते हैं और भगवान से मनोवांछित फल की प्रार्थना करते हैं।
आज गणेश संकष्ट चतुर्थी
चंद्रोदय 8.41 pm
