■ इनमें से एक पर्वत है भारत में, 3.2 अरब वर्ष पुराने हैं यहां के पहाड़

● नई दिल्ली।
आज से अरबों वर्ष पहले, जब महाद्वीपों का वर्तमान स्वरूप भी नहीं बना था, पृथ्वी की भूपर्पटी अत्यंत सक्रिय थी। इसी काल में कुछ आदिम भूभाग और प्राचीन पर्वतशृंखलाएँ आकार लेने लगीं। इनमें दो क्षेत्र दक्षिण अफ्रीका का बार्बर्टन ग्रीनस्टोन बेल्ट (मखोंजवा पर्वत) और भारत की अरावली पर्वतशृंखला पृथ्वी के सबसे पुराने भूगर्भीय इतिहास के प्रतीक हैं।
दक्षिण अफ्रीका के म्पुमलांगा प्रांत में स्थित मखोंजवा पर्वतों की आयु लगभग 3.2 से 3.6 अरब वर्ष मानी जाती है। इन पर्वतों से निकली चट्टानें पृथ्वी की आरंभिक शीतलन प्रक्रिया का सजीव साक्ष्य हैं। यह पर्वत कापवाल क्रेटॉन का हिस्सा है, जो पृथ्वी के सबसे प्राचीन महाद्वीपीय केंद्रों में एक है। इसकी वैज्ञानिक महत्ता के कारण यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्रदान किया है। भूवैज्ञानिक इसे “प्रारंभिक पृथ्वी की खिड़की” कहते हैं, क्योंकि यहाँ मिली सूक्ष्म जीवाश्म संरचनाएँ और रासायनिक निशान जीवन की प्रारंभिक उत्पत्ति का संकेत देते हैं। इन अध्ययनों से वैज्ञानिकों को यह समझने में सहायता मिलती है कि अरबों वर्ष पहले पृथ्वी का वायुमंडल, महासागर और जीवन कैसे विकसित हुए।

इसी कथा का दूसरा अध्याय भारतीय भूभाग में मिलता है अरावली पर्वतमाला में। राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक फैली यह शृंखला भी लगभग 3.2 अरब वर्ष पुरानी है। कभी यह हिमालय से भी ऊँची थी, किंतु समय के साथ क्षरण के कारण अब यह नीची पहाड़ियों और पत्थरीली रेखाओं में बदल गई है, जो आज भी उत्तर भारत के भू-दृश्य की पहचान हैं। अरावली भारतीय शील्ड का भाग है, वह स्थिर भूखंड जिसने भारतीय उपमहाद्वीप की नींव रखी।
यह क्षेत्र तांबा, जस्ता और सीसे जैसे खनिजों से समृद्ध रहा है और प्राचीन काल से ही मानव बसावट, व्यापार और मानसूनी पवनों की दिशा पर प्रभाव डालता आया है। पर्यावरणीय दृष्टि से भी अरावली की वनशृंखलाएँ दिल्ली और गुरुग्राम जैसी आधुनिक नगरियों के लिए “हरे फेफड़े” का कार्य करती हैं।
मखोंजवा पर्वत और अरावली शृंखला मिलकर पृथ्वी की दीर्घ यात्रा के आरंभिक अध्यायों को दर्शाती हैं टेक्टोनिक गतिविधि, अपरदन और पुनरुत्थान की अनवरत कथा। ये हमें स्मरण कराती हैं कि जिस भूमि पर हम खड़े हैं, उसने केवल सभ्यताओं का उत्थान-पतन ही नहीं देखा बल्कि स्वयं पृथ्वी के जन्म का भी साक्षात्कार किया है।
(सोर्स: इंडिया टुडे)
