
● सियोल
तेज रफ्तार जीवनशैली और निरंतर दबाव के बीच लोगों को मानसिक ठहराव का महत्व समझाने वाला एक अनूठा अंतरराष्ट्रीय आयोजन दुनिया का ध्यान खींच रहा है। वर्ष 2014 में कोरिया की कलाकार वूप्सयांग ने इसे एक कला प्रयोग के रूप में शुरू किया था, जो आज एक वैश्विक कार्यक्रम बन चुका है। यह प्रतियोगिता लोगों को यह महसूस कराती है कि आराम करना कमजोरी नहीं बल्कि एक सीखने योग्य क्षमता है।
इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों को पूरे 90 मिनट तक बिल्कुल स्थिर और शांत बैठना होता है। इस दौरान मोबाइल फोन, बातचीत या झपकी लेने की अनुमति नहीं होती। आयोजकों का उद्देश्य है कि प्रतिभागी बिना किसी व्यतिकरण के अपने मन और शरीर को स्थिरता की अवस्था में लाएँ।
प्रतियोगिता की सबसे रोचक बात है कि प्रतिभागियों की हार्ट रेट नियमित अंतराल पर मापी जाती है, जिससे पता चलता है कि कौन सबसे अधिक शांत और संयमित है। इसके साथ ही मौके पर मौजूद दर्शक भी अपनी पसंद के आधार पर वोट देते हैं। इन दोनों के आधार पर सबसे शांत प्रतिभागी को विजेता घोषित किया जाता है।
वूप्सयांग का कहना है कि यह प्रतियोगिता उन लोगों के लिए एक संदेश है जो मानते हैं कि खाली बैठना समय की बर्बादी है। इस आयोजन ने दिखाया है कि मानसिक शांति एक कौशल है, जिसका अभ्यास जरूरी है। आज यह कार्यक्रम एशिया, यूरोप और अमेरिका के कई शहरों में आयोजित हो रहा है और हर वर्ष हजारों लोग इसमें शामिल होते हैं।
लगातार फैलती लोकप्रियता के साथ ‘स्पेस-आउट प्रतियोगिता’ आधुनिक जीवन की मांगों के बीच ठहराव की अहमियत को नए सिरे से स्थापित कर रही है। यह पहल बताती है कि कभी-कभी कुछ न करना भी स्वयं को संभालने का सबसे प्रभावी तरीका है।
