- मुंबई। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन मार्गदर्शन अनुसार चेम्बूर, वडाला और गोरेगांव स्थित निरंकारी भवनों में क्षेत्रस्तरिय निरंकारी बाल संत समागम रविवार, 23 नवम्बर 2025 को हर्षोल्लासपूर्ण वातावरण में संपन्न हुए।

बच्चे बड़ों का अनुकरण करते हैं – चेम्बूर समागम
संत निरंकारी सत्संग भवन, चेम्बूर में आयोजित समागम में दिल्ली से पधारे निरंकारी ब्रह्मज्ञान प्रचारक आदरणीय श्री मनिष खन्ना ने कहा कि बच्चे केवल कहने से नहीं बल्कि बड़ों के आचरण से सीखते हैं। उन्होंने बताया कि संतों के सान्निध्य और सतगुरु की सिखलाई से बच्चे बाल्यावस्था में ही धैर्य, विनम्रता, क्षमा और जिम्मेदारी जैसे गुण सहजता से अपना लेते हैं। चेम्बूर से मुलुंड और मानखुर्द तक के लगभग दो हजार बच्चे और अभिभावक इसमें सम्मिलित हुए।
समागम में गीत, विचार, कविताओं और शिक्षाप्रद लघुनाटिकाओं ने संदेश दिया कि मन का विस्तार, सही ज्ञान और अहंकार से दूरी ही जीवन को उज्ज्वल बनाती है।

सत्संग से होता है उज्ज्वल चरित्र निर्माण – वडाला समागम
वडाला के नाडकर्णी पार्क स्थित भवन में आयोजित कार्यक्रम में चण्डीगढ़ से आये आदरणीय डॉ. मोहित गुप्ता ने कहा कि उत्तम परवरिश और सत्संग का वातावरण ही चरित्र और करियर का निर्माण करते हैं। नेवी नगर से दादर तक की शाखाओं के लगभग दो हजार बच्चों और अभिभावकों ने सहभागिता की।
उन्होंने कहा कि सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज द्वारा प्रदान ब्रह्मज्ञान आज की नकारात्मकता से भरी दुनिया में स्थिरता, सकारात्मकता और प्रेम प्रदान करता है।

निरंकारी बालक आध्यात्मिक मूल्यों से युक्त – गोरेगांव समागम
वासरी हिल, गोरेगांव (प.) में आयोजित विशाल समागम में बांद्रा से भायंदर तक के 3,500 से अधिक भक्त शामिल हुए। हरदेव बाणी, कव्वाली और अभंग सहित विविध प्रस्तुतियों ने वातावरण को भावपूर्ण बनाया।
मुख्य मंच से आदरणीय डॉ. विश्वदीप जुनेजा ने कहा कि निरंकारी बालक सच्चे अर्थों में बाल संत हैं। उन्होंने बच्चों को माता-पिता के सम्मान और नियमित सत्संग की प्रेरणा दी। विभिन्न भाषाओं में प्रस्तुत भजन, विचार, कविताएँ और नाटिकाओं के साथ “विस्तार – अनंत की ओर” विषय पर प्रदर्शिनी ने दर्शकों का मन मोह लिया।
इसी दिन बेलापुर और कलवा सहित अन्य क्षेत्रों में भी बाल समागम आयोजित हुए।
