■ यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के वैज्ञानिकों का अध्ययन

● नई दिल्ली । यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के वैज्ञानिकों ने मानव मस्तिष्क के विकास को लेकर एक ऐसा व्यापक अध्ययन पेश किया है जिसने उम्र और दिमाग की संरचना को समझने का पारम्परिक नजरिया बदल दिया है। नेचर में प्रकाशित इस शोध में बताया गया है कि मस्तिष्क पांच अलग-अलग ‘युगों’ से गुजरता है और इनके बीच चार निर्णायक मोड़ आते हैं: लगभग 9 वर्ष, 32 वर्ष, 66 वर्ष और 83 वर्ष।
अध्ययन के अनुसार जन्म से 9 वर्ष की उम्र तक मस्तिष्क तेजी से विस्तार करता है। इस दौरान ग्रे मैटर और वाइट मैटर का निर्माण शिखर पर होता है और बाद में उपयोग न होने वाले न्यूरल संपर्कों की छंटाई शुरू होती है।
शोध का सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि मस्तिष्क की किशोर अवस्था लगभग 32 वर्ष तक चलती है। इसमें सोचने, सीखने और निर्णय लेने से जुड़े तंत्र लगातार परिपक्व होते रहते हैं। यह अवधि मानसिक स्वास्थ्य के नजरिए से अत्यंत संवेदनशील मानी गई है।
वहीं 32 वर्ष का मोड़ मस्तिष्क की सबसे मजबूत पुनर्रचना को दर्शाता है। इसके बाद लगभग 66 वर्ष तक मस्तिष्क अपेक्षाकृत स्थिर रहता है और व्यक्ति की बुद्धि तथा व्यक्तित्व अपनी परिपक्व अवस्था में रहते हैं।
66 वर्ष के आसपास मस्तिष्क के हिस्सों के बीच तालमेल धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगता है। यह उम्र-संबंधी संज्ञानात्मक चुनौतियों के शुरुआती संकेत भी हो सकते हैं।
83 वर्ष के बाद मस्तिष्क की नेटवर्क गतिविधि और धीमी हो जाती है। कनेक्टिविटी का घनत्व घटने लगता है, जिससे वृद्धावस्था में मानसिक प्रक्रिया की सुस्ती सामान्य दिखाई देती है।
20 से 30 वर्ष की आयु को लेकर समाज में जो “पूर्ण वयस्कता” की धारणा है, इस शोध ने उसे बदला है। मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षा और करियर के दबावों को समझने में यह शोध नई दिशा देता है।बुढापे में आने वाले संज्ञानात्मक बदलावों, डिमेंशिया और अन्य न्यूरोलॉजिक समस्याओं के अध्ययन के लिए भी यह निष्कर्ष उल्लेखनीय हैं।
स्रोत : University of Cambridge (Nature में प्रकाशित शोध), The Guardian, Al Jazeera, People Magazine, Times of India.
