
● नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग पर रोक लगाने की मांग वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में तर्क दिया गया था कि एआई और मशीन लर्निंग का “अनियंत्रित उपयोग” न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है और कई बार एआई ऐसे फैसले तैयार कर देता है जो वास्तविकता में मौजूद ही नहीं होते।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद कहा कि एआई से जुड़े जोखिमों को लेकर न्यायपालिका पूरी तरह जागरूक है, लेकिन ऐसे मुद्दे न्यायालय के आदेशों से नहीं बल्कि प्रशासनिक उपायों से बेहतर तरीके से सुलझाए जा सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने माना कि एआई-जनित फैसलों को लेकर चिंताएं वाजिब हैं। उन्होंने कहा कि वकीलों और जजों को एआई द्वारा बनाई गई सामग्री की जांच करना सीखना होगा और इसके लिए न्यायिक अकादमियों में प्रशिक्षण दिया जा सकता है।
उन्होंने स्पष्ट किया—एआई मददगार टूल हो सकता है, लेकिन न्यायिक तर्क और अंतिम फैसला हमेशा मानव जज ही करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि निचली अदालतों द्वारा कभी-कभी ‘अस्तित्वहीन सुप्रीम कोर्ट आदेशों’ का हवाला देने की घटनाओं पर भी न्यायपालिका सतर्क है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हम एआई का उपयोग बहुत सावधानी से करते हैं और नहीं चाहते कि यह हमारी निर्णय क्षमता को प्रभावित करे। जजों को हर जानकारी की क्रॉस-चेकिंग करनी होगी, और समय के साथ हम सभी इसमें और दक्ष होंगे।”
