● लोकसभा में सामाजिक सुधारों पर जोर
● कर्मचारियों के ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ से लेकर महिलाओं के मासिक धर्म लाभ और पत्रकार सुरक्षा मुद्दों पर हुई पहल

● नई दिल्ली
लोकसभा में शुक्रवार का दिन व्यापक सामाजिक सुधारों के एजेंडे के नाम रहा, जब कई सांसदों ने देश की कार्यसंस्कृति, महिला स्वास्थ्य और पत्रकार सुरक्षा जैसे विषयों पर प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए। ये वे विधेयक होते हैं जिन्हें सांसद अपनी व्यक्तिगत पहल पर रखते हैं। इन पर अक्सर चर्चा होती है, मगर अधिकांश बिल सरकार के उत्तर के बाद वापस ले लिए जाते हैं।
सांसद सुप्रिया सुले ने ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025’ पेश करते हुए कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और निजी जीवन के संतुलन को प्राथमिकता देने की पहल की। बिल का उद्देश्य कर्मचारियों को काम के निर्धारित समय के बाद ऑफिस के कॉल, ईमेल और मैसेज का जवाब न देने का अधिकार देना है। साथ ही, कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए ‘एम्प्लोई वेलफेयर अथॉरिटी’ गठित करने का भी प्रस्ताव रखा गया।
सांसद कडियम काव्या ने ‘मेनस्ट्रुअल बेनिफिट्स बिल, 2024’ पेश किया, जिसमें पीरियड्स के दौरान महिलाओं को काम के स्थान पर आवश्यक सुविधाएं और विशेष लाभ मुहैया कराने पर जोर दिया गया है। इसी से जुड़े विषय पर एलजेपी सांसद शंभवी चौधरी ने भी एक अलग विधेयक रखा, जिसमें कामकाजी महिलाओं और छात्राओं को पेड पीरियड लीव, स्वच्छता सुविधाएँ और मासिक धर्म से संबंधित स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित करने का प्रस्ताव शामिल है।
पत्रकारिता और लोकतंत्र की सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से निर्दलीय सांसद विशालदादा प्रकाशबाबू पाटिल ने ‘जर्नलिस्ट (प्रिवेंशन ऑफ वायलेंस एंड प्रोटेक्शन) बिल, 2024’ पेश किया। इसका लक्ष्य पत्रकारों और उनकी संपत्ति को हिंसा, धमकी और हमले से बचाते हुए सुरक्षित वातावरण प्रदान करना है।
इन विधेयकों ने लोकसभा की बहस को समाज और कार्यक्षेत्र से जुड़े संवेदनशील मुद्दों की ओर केंद्रित किया, जिन पर आने वाले दिनों में व्यापक चर्चा की उम्मीद है।
