
● मुंबई
फिल्म ‘धुरंधर’ के जरिये कराची के बदनाम लियारी इलाके की आपराधिक दुनिया फिर चर्चा में है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे दृश्यों में गैंगवार, पुलिस कार्रवाई और तस्करी के जाल को दिखाया गया है।
लियारी, जो कभी फुटबॉल और मजदूर बस्तियों के लिए जाना जाता था, 1990–2000 के दशकों में “वाइल्ड वेस्ट” बन गया। 1960 के दशक में चरस व्यापार से शुरू हुई अपराध की दुनिया आगे चलकर खंडणी, ड्रग्स, जुए और पानी की तस्करी तक फैल गई।
इस अंधेरे तंत्र में रेहमान डकैत और उजैर बलोच जैसे नाम सबसे प्रभावशाली रहे। रेहमान ने 2008 में पीपल्स अमन कमेटी बनाकर लियारी में समानांतर सत्ता स्थापित कर ली। राजनीतिक संरक्षण के कारण गैंगों की पकड़ और मजबूत होती चली गई।
SSP चौधरी असलम खान के सख़्त अभियान और बाद में सेना की कार्रवाई ने इन गिरोहों को कमजोर किया। रेहमान 2009 में एनकाउंटर में मारा गया और उजैर बलोच 2020 में जासूसी के मामले में दोषी ठहराया गया।
आज लियारी में शांति है, फुटबॉल मैदान और सांस्कृतिक गतिविधियाँ लौट रही हैं लेकिन लोग अब भी उन दिनों को याद करते हैं जब हर मोड़ पर गोलियों की आवाज़ गूंजती थी।
