
● मुंबई
प्रख्यात लेखक, कानूनविद और देश के नामचीन प्रकाशक इंडिया नेटबुक के संस्थापक डॉ. संजीव कुमार ने 296 पुस्तकें लिखकर इतिहास रच दिया है। साहित्य, श्रम, कानून, मानव संसाधन और सामाजिक विषयों पर हिंदी तथा अंग्रेजी में लिखी गई इन पुस्तकों को पाठकों ने बेहद पसंद किया है। उनके इस अप्रतिम योगदान पर इंडिया बुक रिकॉर्ड द्वारा सर्वाधिक पुस्तकें लिखने का रिकॉर्ड प्रदान किया गया, जिसके लिए उन्हें एक भव्य समारोह में सम्मानित किया गया।
डॉ. संजीव कुमार पिछले चार दशकों से कॉर्पोरेट लॉ, श्रम, वित्त और साहित्य की विविध विधाओं में सक्रिय हैं और निरंतर रचनारत हैं। कानून की पढ़ाई के साथ उन्होंने बोस्टन से सामान्य प्रबंधन में एमआईटी तथा आईआईटी कानपुर से कोबोल प्रोग्रामिंग में डिग्री प्राप्त की है।

वासवदत्ता, उर्वशी, गुंजन, स्वर्णकिरण, वर्णिका, अंतरंगिनी, मौन का अनुवाद, मैं भी, मधुलिका और मन पाखी उनकी बहुचर्चित और पुरस्कृत कृतियाँ हैं। कॉर्पोरेट क्रिमिनोलॉजी, कंपनी लॉ, इंडस्ट्रियल और लेबर लॉ पर उनकी कई महत्वपूर्ण पुस्तकों को कानूनविद विशेष महत्व देते हैं। वे एक सफल अनुवादक भी हैं और उनके किए गए अनुवाद संवेदनशील पाठकों द्वारा खूब सराहे जाते हैं।
