
● ढाका
बांग्लादेश में नई संसद के चुनाव के लिए मतदान 12 फरवरी को होगा। देश के चुनाव आयोग ने गुरुवार को यह घोषणा की। यह चुनाव उस बड़े छात्र विद्रोह के बाद हो रहा है, जिसने पिछले साल राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदल दिया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भारत जाना पड़ा था।
इस समय नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की अध्यक्षता में एक अंतरिम प्रशासन 173 मिलियन आबादी वाले मुस्लिम बहुल देश का संचालन कर रहा है, पर सुधारों में देरी और बढ़ते असंतोष के कारण विरोध और राजनीतिक तनाव फिर उभरने लगे हैं।
चुनाव आयोग पर भरोसा घटा
समाचार एजेंसी बीएसएस के अनुसार रंगपुर में एक कार्यक्रम में नासिर उद्दीन ने कहा कि लोगों का चुनाव प्रणाली और चुनाव आयोग पर भरोसा कम हुआ है। अंतरिम सरकार ने अवामी लीग के कुछ साफ-सुथरी छवि वाले नेताओं को चुनाव लड़ने की अनुमति दी है, पर एक शर्त के साथ वे अवामी लीग के प्रतीक चिह्न पर चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरना होगा। पार्टी पर लगाया गया प्रतिबंध फिलहाल जारी रहेगा।
बीएनपी और जमात फिर मैदान में
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश राष्ट्रवादी पार्टी (बीएनपी) इस चुनाव में सबसे मजबूत दावेदार मानी जा रही है। इसी के साथ, अंतरिम सरकार की ढील के बाद जमात-ए-इस्लामी भी चुनावी अखाड़े में लौट आई है। 2013 के एक न्यायिक आदेश के बाद जमात पर चुनाव लड़ने पर रोक लग गई थी क्योंकि अदालत ने उसके पंजीकरण को देश के धर्मनिरपेक्ष संविधान के खिलाफ माना था।
इन दोनों दलों की सक्रिय मौजूदगी से यह चुनाव बांग्लादेश की राजनीति में एक नए दौर की शुरुआत माना जा रहा है।
