■ राजेश रेड्डी को दिया गया वर्ष 2025 का सार्थक साहित्य सम्मान

● मुंबई
पंडित मधुकर गौड़ सार्थक साहित्य संस्थान द्वारा प्रति वर्ष पंडित मधुकर गौड़ सार्थक साहित्य सम्मान दिया जाता है। वर्ष 2025 के लिए यह सम्मान प्रसिद्ध गजलकार राजेश रेड्डी को कल (14 दिसम्बर 2025) शारदा ज्ञानपीठ इंटरनेशनल स्कूल मलाड, ( पूर्व) के सभागार में प्रदान किया गया। सम्मानार्थ आयोजित समारोह की अध्यक्षता विश्वनाथ सचदेव ने की। आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में करूणा शंकर उपाध्याय तो विशिष्ट अतिथि के रूप में कन्हैयालाल जी. सराफ उपस्थित थे। हरि मृदुल इस आयोजन के लिए मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित थे।
माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ आयोजन शुरू हुआ। स्वागत भाषण के लिए ह्दयेश मयंक को आमंत्रित किया गया। मयंक ने कहा कि आधुनिकता के इस दौर में परंपराएं छूट रही हैं। पूर्वजों को याद करने व सांस्कृतिक धरोहर को बचाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने मधुकर गौड़ के पुत्र कमलेश गौड़ का विशेष रूप से अभिवादन किया क्योंकि वह अपने पिता की धरोहर को न केवल संजोए हुए हैं बल्कि इस तरह का आयोजन कर उसे आगे भी बढ़ा रहे हैं। विश्वनाथ सचदेव, कन्हैयालाल सराफ, हरि मृदुल, श्रीमती मधुकर गौड़, आनंद सिंह के साथ विद्यालय के चेयरमैन डॉ शारदा प्रसाद शर्मा को याद किया गया और उनकी अनुपस्थिति में एमके चौबे को आदर सहित मंच पर बैठने का निवेदन किया।
स्वागत भाषण के बाद अवसर था मधुकर गौड़ के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालने का। इस जिम्मेदारी का निर्वाह, मधुकर गौड़ की बेटी ने एक लिखित पर्चा पढकर किया। अपने पर्चे के द्वारा उन्होंने 1971 से 2019 तक की मधुकर गौड़ के लेखन, आयोजन व संयोजन का उल्लेख किया। इसके बाद राजेश रेड्डी का सम्मान किया गया। राजेश रेड्डी को श्रीमती पूनम मधुकर गौड़, विश्वनाथ सचदेव, हृदयेश मयंक, कन्हैयालाल जी सराफ, हरि मृदुल और आनंद सिंह ने सम्मानित किया।

राजेश रेड्डी ने मुंबई की अपनी साहित्यिक यात्रा के संस्मरण सुनाए और कुछ चुनिंदा गजलों का तरन्नुम में पाठ किया जिसे सुनते हुए श्रोता भावुक हो गये। ‘शाम को जिस वक्त खाली हाथ लौटता हूँ मैं, मुस्करा देते हैं बच्चे और मर जाता हूँ मैं, , मेरे दिल के किसी कोने में एक मासूम सा बच्चा बडो़ की देखकर दुनियाँ, बड़ा होने से डरता है,’ जैसी गजलों ने श्रोताओं को मुग्ध कर दिया।
कन्हैयालाल सराफ अपने विनोद पूर्ण वक्तव्य के लिए शहर में जाने जाते हैं। कल उन्होंने अध्यक्ष विश्वनाथ सचदेव की उपमा पुराने चावल से की लेकिन ‘महंगे नहीं हैं’ ऐसा बताया। उनके व्यक्तित्व पर रोशनी डालते हुए उन्होंने बताया कि विश्वनाथ सचदेव लोगों के साथ ऐसे मिल जाते हैं जैसे चावल दूध और दाल के साथ मिल जाता है। करुणाशंकर उपाध्याय का कहना था कि कविता की ज्ञेयता को बचाने का बड़ा काम मधुकर गौड़ ने किया है।
हरि मृदुल ने आयोजन की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साहित्य की विरासत को बचाने और उसे आगे बढ़ाने के लिए इस तरह के आयोजन महत्वपूर्ण होते हैं। अपने आशीर्वचन में एम के चौबे ने कहा कि साहित्य संगीत और कला के अंदर ही वह ताकत है जो समाज को बचा सकता है। कार्यक्रम के समापन में कमलेश गौड़ ने आभार प्रदर्शन किया।
