● CUET-UG परीक्षा में मातृभाषाओं को मिला अवसर, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी कहते हैं

नई दिल्ली।
देश में शिक्षा को मातृभाषा के माध्यम से सुलभ बनाने की कोशिशें जारी हैं। केंद्र सरकार ने कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट अंडरग्रेजुएट (CUET-UG) परीक्षा को हिंदी, अंग्रेजी समेत 13 भारतीय भाषाओं में आयोजित कर एक बड़ा कदम उठाया लेकिन छात्रों की प्राथमिकता अब भी अंग्रेजी भाषा ही बनी हुई है।
CUET-UG के हालिया आंकड़े बताते हैं कि 8.73 लाख विद्यार्थियों ने अंग्रेज़ी माध्यम को चुना जबकि हिंदी में सिर्फ 1.85 लाख परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी। अन्य भारतीय भाषाओं में यह संख्या और भी कम रही; बांग्ला: 4,869, तमिल: 3,450, असमी: 1,493। दिलचस्प बात यह रही कि पंजाबी विषय में भले ही एनटीए स्कोर सबसे अधिक 250 रहा लेकिन इसे माध्यम के रूप में चुनने वाले छात्र महज़ 78 थे।
राज्यवार भागीदारी पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक 3,94,949 छात्रों ने पंजीकरण कराया और 3,29,905 परीक्षा में बैठे। शेष राज्यों के आंखे इस प्रकार रहे-बिहार: 92,548, दिल्ली: 1,05,674, राजस्थान: 64,624, मध्य प्रदेश: 61,748, उत्तराखंड: 28,649, जम्मू-कश्मीर: 38,984, हरियाणा: 41,678, हिमाचल प्रदेश: 12,434, पंजाब: 13,803, लेह-लद्दाख: 1,111 और चंडीगढ़: 7,400।
सरकार मातृभाषाओं को प्रोत्साहित कर रही है लेकिन छात्र अब भी अंग्रेज़ी को ही सफलता की सीढ़ी मानते हैं। यह रुझान भारतीय भाषाओं की स्वीकार्यता और शैक्षिक नीति के प्रभाव पर सोचने को मजबूर करता है।