
हरिद्वार।
जब आधुनिकता के शोर में रिश्तों की संवेदनाएं फीकी पड़ने लगें, जब मां-बाप घर में अपमानित हों या वृद्धाश्रम की चौखट पर अपनी संतानों की राह ताकते मिलें, ऐसे वक्त में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के संजय जैसे बेटे समाज को एक नई राह दिखाते हैं।
अलीगढ़ की खैर तहसील के बिलखोरा गांव के रहने वाले संजय, जिन्हें लोग प्यार से संजू बाबा कहते हैं, इस बार कांवड़ यात्रा पर एक अनोखी मिसाल के साथ निकले हैं। एक ओर उनके कांवर में हरकी पैड़ी से लाया गया मां गंगा का पवित्र जल है, और दूसरी ओर विराजमान हैं उनकी 65 वर्षीय मां पुष्पा देवी।
संजू बाबा ने यह संकल्प एक साल पहले लिया था कि वे इस बार शिवभक्ति के साथ-साथ मातृसेवा का यज्ञ भी निभाएंगे। हरिद्वार की हरकी पैड़ी पर मां के साथ विधिवत पूजा कर, उन्होंने करीब 300 किलोमीटर की पदयात्रा शुरू की। उनका लक्ष्य है कि 15 दिनों में मां को कांवर में बैठाकर अलीगढ़ अपने गांव तक पहुंचें।
जब मीडिया ने उनसे बातचीत करनी चाही, तो पहले तो उन्होंने विनम्रता से मना कर दिया। अंततः सहज होकर बोले, सेवा दिखावे की चीज नहीं होती। यह मेरी आत्मा की आवाज है। मां की सेवा करना मेरे जीवन का सौभाग्य है। आज के समय में लोग अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम भेज देते हैं, जबकि असली मंदिर तो उनके चरणों में है। जो अपने मां-बाप की सेवा नहीं कर सकता, उसका मंदिर जाकर पूजा करना भी व्यर्थ है।
ज्ञात हो कि संजू बाबा खेती करते हैं। उनके पिता भी किसान हैं। खेती के काम से समय निकालकर वे पिछले आठ साल से नियमित कांवड़ उठा रहे हैं। उनकी मां पुष्पा देवी ने भावुक होकर कहा, ‘मैं पूरे रास्ते शिव का नाम जपती हूं और अपने बेटे को आशीर्वाद देती हूं। भगवान से बस यही प्रार्थना है कि सबको संजय जैसा बेटा मिले और इसके बच्चों को भी वैसी ही सेवा भावना मिले।’