● संकलन : सूर्यकांत उपाध्याय

एक बार एक छोटे से गांव में एक लड़का था जो हमेशा सोचता रहता था कि वह बहुत छोटा है, उसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती, और वह इस विशाल दुनिया में कुछ भी नहीं कर सकता।
एक दिन वह एक साधु बाबा के पास गया और बोला, ‘बाबा, मैं कुछ नहीं कर सकता। मैं बहुत छोटा हूं, मेरी कोई कीमत नहीं है।’
साधु मुस्कराए और बोले, ‘बिलकुल ठीक, तुम छोटे हो… लेकिन आओ, मैं तुम्हें कुछ दिखाता हूं।’
वे उसे एक अंधेरी गुफा में ले गए और बोले, ‘यहां देखो, कितना अंधेरा है। अब यह छोटा सा दीया जलाओ।’
लड़के ने दीया जलाया, और पूरी गुफा में प्रकाश फैल गया।
बाबा बोले, ‘क्या तुमने देखा? यह दीया कितना छोटा है लेकिन जब तक यह जल रहा है, तब तक अंधकार टिक नहीं सकता। जीवन में तुम्हारा भी यही स्थान है। भले ही तुम खुद को छोटा समझो लेकिन अगर तुम प्रकाश बन जाओ तो एक बहुत बड़ा अंधकार भी तुमसे हार जाएगा।’