● वैज्ञानिकों की नई थ्योरी से हबल टेंशन पर रोशनी

नई दिल्ली।
सोचिए, अगर हमारी पृथ्वी, पूरा सौरमंडल और हमारी आकाशगंगा ब्रह्मांड के एक ऐसे हिस्से में हो, जहां बाकी जगहों के मुकाबले बहुत कम चीजें यानी पदार्थ मौजूद हों। यह कोई फिल्म की कहानी नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक सोच है जो ब्रह्मांड के विस्तार से जुड़े बड़े रहस्य को हल करने की दिशा में मदद कर सकती है।
यह रहस्य है ‘हबल टेंशन’ यानी ब्रह्मांड कितनी तेजी से फैल रहा है, इसे नापने के दो अलग तरीकों से अलग-अलग नतीजे मिलते हैं।
पहला तरीका ब्रह्मांड की शुरुआती रोशनी (CMB) को देखकर हमें पूरे ब्रह्मांड की औसत फैलने की दर बताता है।
दूसरा तरीका नज़दीकी आकाशगंगाओं और सुपरनोवा की रोशनी देखकर बताया जाता है कि आसपास का ब्रह्मांड कितनी तेजी से फैल रहा है।
पर दोनों तरीकों के नतीजे मेल नहीं खाते और यही गुत्थी है हबल टेंशन।
ब्रिटेन के वैज्ञानिक इंद्रनील बैनिक का कहना है कि इसका कारण ये हो सकता है कि हम ब्रह्मांड के एक ऐसे क्षेत्र में हैं, जहां बाकी ब्रह्मांड के मुकाबले लगभग 20 प्रतिशत कम पदार्थ है। इस क्षेत्र को उन्होंने ‘हबल बबल’ नाम दिया है। इस खालीपन की वजह से आसपास की आकाशगंगाएं तेजी से दूर जाती हुई दिखाई देती हैं, जिससे हमें लगता है कि ब्रह्मांड ज्यादा तेजी से फैल रहा है।
बैनिक और उनकी टीम ने ब्रह्मांड की शुरुआत में बनी ध्वनि-तरंगों (BAO) का अध्ययन किया, जो फैलते ब्रह्मांड का नक्शा दिखाती हैं। उन्होंने पाया कि अगर हम वाकई एक खाली जगह में हैं तो इन तरंगों में हल्का-सा कोणीय फर्क दिखता है और यही फर्क उन्होंने पाया भी।
उनका कहना है कि पिछले 20 सालों के सभी आंकड़ों को मिलाकर देखें तो उनकी ‘हबल बबल’ थ्योरी पुराने मॉडल से 10 करोड़ गुना ज्यादा सटीक बैठती है।
इस नई सोच से ये साबित हो सकता है कि ब्रह्मांड हर जगह एक जैसा नहीं है, जैसा कि अब तक माना जाता रहा था। अगर यह सच है तो ब्रह्मांड को समझने के हमारे पुराने तरीके बदलने पड़ सकते हैं।