● इस महीने क्या करें, क्या न करें?

हिंदू पंचांग के अनुसार आज से शुरू श्रावण यानी सावन मास भगवान शिव को समर्पित अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक महीना है। यह वर्षा ऋतु के मध्य आता है और प्रकृति को हरियाली से भर देता है। इस माह में भक्त शिव मंदिरों में जलाभिषेक, व्रत, और मंत्र जाप कर आराधना करते हैं।
श्रावण सोमवारी व्रत विशेष रूप से शिवभक्तों के लिए फलदायी माना गया है। कुंवारी कन्याएं उत्तम वर के लिए और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र व सुखी दांपत्य जीवन के लिए यह व्रत करती हैं।
धार्मिक मान्यता है कि समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने सावन माह में ही ग्रहण कर सृष्टि की रक्षा की थी इसलिए इस मास में शिव आराधना का विशेष महत्व है।
सावन सिर्फ आध्यात्मिक नहीं बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। वर्षा से खेतों में हरियाली आती है और यह महीना हरित जीवन का प्रतीक बन जाता है।
सावन में क्या करें?
भगवान शिव की पूजा कर जल, बेलपत्र, धतूरा व पंचामृत से अभिषेक करें।
- ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
- सोमवार व्रत रखें, शिव पुराण का पाठ करें, कथा-सत्संग में भाग लें।
- अन्न, वस्त्र, जल और गौ सेवा का दान करें।
- ब्राह्मण भोजन और शिव मंदिर में दर्शन या घर पर ही विशेष पूजन जीवन में शुभता लाता है।
सावन में क्या न करें?
- मांस, मदिरा, प्याज-लहसुन का सेवन न करें।
- झूठ, क्रोध, ईर्ष्या, छल से दूर रहें।
- शिवलिंग पर तुलसी, शंख का जल और लोहे के पात्र से अभिषेक वर्जित है।
- सोमवार को बाल-नाखून न कटवाएं और विवाह जैसे शुभ कार्य न करें।
- काले वस्त्रों की बजाय हल्के रंग या विशेषकर सफेद पहनना शुभ होता है।
सावन मास शिवभक्ति, साधना, संयम और प्रकृति से जुड़ाव का श्रेष्ठ अवसर है, जो तन-मन-आत्मा की शुद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।