- अभय मिश्र

एक युवा एलियन गलती से पृथ्वी पर आ गया था। कुछ तकनीकी खराबी के कारण उसे अपना वायुयान कश्मीर के पास एक जंगल में उतारना पड़ा था। उसने सोचा जब तक मेरी टीम वायुयान की खराबी को ठीक करेगी, तबतक थोड़ा घूम लिया जाए। कश्मीर की हरियाली देखकर उसका मन प्रसन्न हो ही रहा था कि दो दाढ़ी वाले सज्जन पुरुष हाथों में मशीनगन लेकर उसका धर्म पूछ कर गोलियां बरसाने लगे। वह जैसे-तैसे अपनी जान बचाकर भागा और अपने वायुयान के पास पहुंचा। वायुयान बनकर तैयार हो चुका था। वायुयान उड़ चला।
एलियन ने सोचा इतनी दूर आए ही हैं तो क्यों न थोड़ा और घूम लिया जाए। उसने वायुयान भारत के दक्षिण छोर की तरफ मोड़ दिया। लेकिन ये क्या! एक घंटे में ही वायुयान में फिर खराबी आ गई। अबकी बार वायुयान बेंगलुरु के पास उतारना पड़ा। दोबारा रिपेयरिंग शुरू हुई।
एलियन फिर निकल गया घूमने। एक ऑटोवाले को रोककर पूछा कि यहां के प्रसिद्ध स्थानों पर ले चलो। थोड़ा घुमा दो। ऑटोवाले ने कहा, ‘कन्नड़ में बोलो।’ एलियन ने सोचा अब यह क्या बला है? ऑटोवाले की बातों को एलियन ने कन्नड़ भाषा में ट्रांसलेट करने के लिए अपनी एआई टाइप दिमागी मशीन में डाला ही था कि आसपास के दो-चार ऑटो वाले और आ गए। एलियन को घेर कर हमला करने की कोशिश करने लगे। एलियन फिर भागा। अपने वायुयान में जाकर बैठ गया। वायुयान बन चुका था। वायुयान फिर उड़ चला।
आकाश में उड़ते समय उसने ऊपर से गेटवे ऑफ इंडिया देखा यानी मुंबई। उसने मुंबई में उतरने की सोची। लेकिन मुंबई के मैंग्रोव्ज पर तो बड़ा ऑफिस काम्प्लेक्स बन चुका है। बहुत सारी झोपड़ियां भी दिखीं। झोपड़ियां तोड़कर बनी इमारत भी दिखी। कहीं ढंग का मैदान नहीं दिख रहा था कि वह अपना वायुयान उतार सके। हाईवे जाम था। अंदर की सड़कें टूटी-फूटी थीं। नेताओं के बैनर व झंडे बराबर लहरा रहे थे।
आखिरकार उसने एक सुनसान इलाके में खाली जगह पाकर वायुयान को खड़ा किया ही था कि दो छपरी टाइप लड़के आ गए। एलियन अपना भेष बदलकर वायुयान से बाहर उतरा और लड़के उसके हाथ में एक चिट्ठी पकड़ा कर ₹200 पार्किंग चार्ज मांगने लगे।
बोले, ‘यहां पे एंड पार्क है।’
एलियन ने कहा, ‘लौटते वक्त तुम्हें पैसे दूंगा।’
लड़के हिंदी में बात कर रहे थे। दरअसल युवा एलियन को हिंदी आती थी। उसके दादाजी ने भारत के अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा और पिताजी ने हाल ही में अंतरिक्ष में गए शुभम शुक्ला की हिंदी में बातचीत को लाइव सुना था और हिंदी सीख ली थी। एलियन के पिताजी ने उसे हिंदी सिखा दी थी कि कभी पृथ्वी पर गए तो कम से कम भारत में तो यह भाषा काम आएगी। लोगों से बातचीत में सुविधा होगी।
युवा एलियन घूमने निकला। दो-तीन घंटे बाद घूमते-घूमते वह एक दुकान को देखकर रुक गया। वहां अलग-अलग तरह के खाने की चीजें थीं। फरसाण, समोसा, कचौरी और मिठाइयों की दुकान थी। वह दुकान की तरफ बढ़ा ही था कि उसने देखा कि उस दुकानदार को कुछ लोग घेरकर मार रहे थे।
एलियन ने किसी से पूछा कि यह सब क्या हो रहा है?
एक व्यक्ति ने बताया कि ये लोग मराठी भाषा में बात करने की जिद कर रहे हैं।
एलियन थोड़ा डर गया और पूछा, ‘क्या नाश्ता पानी करने के लिए भी भाषा आनी जरूरी है?’
किसी ने कहा कि नहीं दुकानदार ने असभ्य भाषा का प्रयोग किया था इसलिए ऐसा हुआ। जबकि दुकान वालों के समर्थकों ने कहा कि खाने-पीने के सामान खरीदने के लिए मराठी आना जरूरी है, ऐसा हमें नहीं लगता। मराठी भाषा स्थानीय है। इसे सीखने में कोई आपत्ति नहीं लेकिन हमला करना हमें बर्दाश्त नहीं। कल हम पूरा शहर बंद रखेंगे। सभी व्यापारी एकजुट हो गए। वे लोग मोर्चे की तैयारी करने लगे।
एलियन पसोपेश में था कि अब मैं क्या करूं? उसने सोचा था पृथ्वी पर, वह भी भारत में उतरा हूं तो कुछ अच्छी बातें सीखकर और कुछ अच्छे सामान लेकर लौटूंगा। खूब खाऊंगा-पिऊंगा। कुछ लोगों के साथ तस्वीरें खिंचवाऊंगा। फिर अपने एलियनपुर में जाकर बताऊंगा कि भारत के लोग बहुत अच्छे हैं लेकिन यहां तो…!
एलियन वापस लौटने के लिए अपने वायुयान में बैठने चला ही था कि दो ट्रैफिक पुलिसकर्मियों ने उसका चालान काट दिया। एलियन ने कहा, ‘यहां तो पे एंड पार्क है। यह देखो चिट्ठी। मैं पार्किंग का पैसा देने को तैयार हूं।’
ट्रैफिक पुलिस ने कहा, ‘यह पे एंड पार्क अवैध है। आप पर ₹2000 का फाइन लगेगा।’
युवा एलियन बुदबुदाते हुए अपने वायुयान में बैठा और उड़ चला एलियनपुर।
उसके दादाजी, दादी और माता-पिता सहित सारे घरवालों ने उसका स्वागत किया। उसकी मां ने पूछा, ‘कैसी लगी पृथ्वी और भारत कैसा है?’
उसने कहा, ‘पृथ्वी अच्छी है। भारत तो बहुत अच्छा है। लेकिन भारत के कुछ लोगों को अच्छा बनने में टेम लगेगा टेम।’
दादाजी बोले, ‘अब जब तक हम लोग इनपर हमला नहीं करेंगे, ये लोग एक नहीं होंगे।’
‘हम कब हमला करेंगे दादाजी?’ युवा एलियन ने पूछा।
दादाजी ने कहा, ‘टेम लगेगा टेम।’
इतना सुनते ही पूरा एलियन परिवार ठहाके मारकर हंसने लगा।
● टेम@टाइम।