● ज्ञानगंगा श्रीमद्भगवद्गीता श्रुत ,स्मृति और ज्ञान का विस्तार है। – डॉ. उमेश चन्द्र शुक्ल

मुंबई।
शनिवार को मुंबई हिंदी अकादमी के तत्त्वावधान में प्रेस क्लब मुंबई में आयोजित अरुण प्रकाश मिश्र अनुरागी द्वारा हिंदी व अंग्रेजी में लिखित ‘ज्ञानगंगा श्रीमद्भगवद्गीता’ का विमोचन डॉ. उमेश चन्द्र शुक्ल उप-प्राचार्य एवं हिंदी विभाग महर्षि दयानंद कॉलेज कॉलेज की अध्यक्षता में, मुख्य अतिथि श्रीकृष्णदास प्रभु ( धार्मिक मार्गदर्शक, इस्कॉन जयपुर), विशेष अतिथि मनमोहन धीर (सहायक निदेशक रा भा, जीएस टी), साहित्यकार यशपाल सिंह यश तथा प्रकाशक रामकुमार के हाथों सम्पन्न हुआ।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. शुक्ल ने कहा कि यह पुस्तक समझने का विषय है। सामान्य भाषा में लिखी यह पुस्तक जनसामान्य के लिए बहुत उपयोगी है। ज्ञान गंगा जीवन के जटिल प्रश्नों का समाधान है।

मुख्य अतिथि कृष्णपाद दास जी ने कहा कि पुस्तक तो पड़ी हर घर में है लेकिन पढ़ी नहीं है। इस पुस्तक का सरल भाषा में लेखन करके लेखक ने सबके लिए सहज बना दिया है।
अपने वक्तव्य में मनमोहन धीर ने इसे वर्तमान समय की श्रेष्ठ कृति बताते हुए कहा कि काल और समय से परे यह एक वैश्विक रचना है और सभी को पढ़ना चाहिए।
यशपाल ने कहा कि गीता का जन्म समरभूमि में विषाद से उत्पन्न हुआ है लेकिन जीवन के अत्यंत निकट है। जीवन मूल्यों को सरल हिंदी और अंग्रेजी में लिखकर लेखक ने इसे सामान्य पाठक के लिए रुचिकर बना दिया है।
यह पुस्तक आर के पब्लिकेशन समूह मुंबई द्वारा प्रकाशित है। डॉ वर्षा सिंह महेश ने इस कार्यक्रम का संचालन किया और लेखक ने अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र मेंउमेश मिश्र प्रभाकर के संचालन में उपस्थित कवियों ने काव्य पाठ किया जिसमें विनय शर्मा दीप,अनिल राही, त्रिलोचन सिंह अरोरा, शारदा प्रसाद दुबे, शरदचंद्र, रवि यादव, अजय सिंह, डॉ.वर्षा महेश, कल्पेश यादव, श्रीधर मिश्र आत्मिक, अजय शुक्ला, ओमप्रकाश सिंह, लक्ष्मी यादव, रागिनी प्रसाद, राजेश दूबे, अल्हड़ असरदार, राकेश त्रिपाठी, नंदलाल क्षितिज, सुमंगला सुमन, शिवदत्त अश्क, सुरेंद्र प्रसाद आदि कवियों ने काव्य पाठ किया। इस कार्यक्रम में साहित्य व कला से जुड़े मुंबई महानगर के गणमान्य उपस्थित थे।