● वैज्ञानिकों की नई खोज ने खगोल विज्ञान की धारणाओं को हिलाया

नई दिल्ली।
एक चौंकाने वाले वैज्ञानिक अध्ययन में दावा किया गया है कि हमारी आकाशगंगा और पूरा स्थानीय ब्रह्मांड एक विशाल ‘कॉस्मिक वॉइड’ यानी ब्रह्मांडीय शून्य क्षेत्र के भीतर स्थित हो सकता है। यह क्षेत्र लगभग 2 अरब प्रकाशवर्ष में फैला हुआ है और सामान्य ब्रह्मांडीय घनत्व की तुलना में कहीं अधिक खाली है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह खोज आधुनिक खगोल विज्ञान की बुनियादी धारणाओं को चुनौती देती है, खासतौर पर उस सिद्धांत को जिसे ‘कॉस्मोलॉजिकल प्रिंसिपल’ कहा जाता है। यह सिद्धांत मानता है कि बड़े स्तर पर ब्रह्मांड हर दिशा में एक जैसा और समान रूप से भरा हुआ है। लेकिन अगर हम वास्तव में एक विशाल खाली क्षेत्र में हैं, तो यह धारणा गलत साबित हो सकती है।
इस सिद्धांत के सामने आने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण है हबल टेंशन यानी ब्रह्मांड के विस्तार की दर को मापने में वैज्ञानिकों को लगातार अलग-अलग आंकड़े मिल रहे हैं। अब माना जा रहा है कि यदि हम एक कम घनत्व वाले क्षेत्र में हैं तो वहां कम गुरुत्वाकर्षण बल के कारण स्थानीय स्तर पर विस्तार की दर अधिक प्रतीत हो सकती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और अन्य संस्थानों के खगोलविदों ने कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड और सुपरनोवा डेटा का विश्लेषण करके यह निष्कर्ष निकाला है। हालांकि यह अध्ययन अभी परीक्षण के चरण में है परंतु अगर यह सिद्ध होता है तो यह ब्रह्मांड की उत्पत्ति, उसके विस्तार और उसकी अंतिम नियति को समझने के हमारे नजरिए को पूरी तरह बदल सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह ‘कॉस्मिक वॉइड’ हमारे लिए एक प्राकृतिक प्रयोगशाला की तरह है, जो यह समझने में मदद कर सकता है कि ब्रह्मांड में विभिन्न क्षेत्रों में समय और गति किस प्रकार से प्रभावित होती है।
यह खोज न केवल खगोलशास्त्र के क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित हो सकती है बल्कि यह दर्शाती है कि शायद हमारा सामान्य ब्रह्मांडीय पड़ोस उतना सामान्य नहीं है जितना हम सोचते थे।
स्रोत: Keenan et al. (2013), Kenworthy et al. (2020), Haslbauer et al. (2021), NASA, European Space Agency (ESA)