● वैज्ञानिकों ने बनाई चमत्कारी आई ड्रॉप

नई दिल्ली।
दृष्टिहीनता का सबसे बड़ा कारण माने जाने वाले मोतियाबिंद का इलाज अब बिना ऑपरेशन के संभव हो सकता है। ब्रिटेन की अंगिल रस्किन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नई आई ड्रॉप VP1-001 विकसित की है, जो आंखों के लेंस में धुंध लाने वाले प्रोटीन क्लंप्स को तोड़कर लेंस की पारदर्शिता वापस ला सकती है।
क्या है यह नई खोज?
VP1-001 नामक यह ड्रॉप lens crystallin proteins को स्थिर करती है। चूहों पर किए गए परीक्षण में 61 प्रतिशत मामलों में बेहतर फोकस और 46 प्रतिशत में लेंस की पारदर्शिता में सुधार देखा गया। यह दवा सीधे उस जैविक कारण को लक्षित करती है, जिससे मोतियाबिंद बनता है।
शोध का आधार क्या है?
PubMed ID – 33724295
PMC ID – PMC7980049
यह शोध Nature से संबद्ध जर्नल में प्रकाशित हुआ है और वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पहला ठोस प्रमाण है जिससे सिद्ध होता है कि मोतियाबिंद को बिना सर्जरी के ठीक किया जा सकता है।
इंसानों पर कब होगा इस्तेमाल?
अभी यह शोध पूर्व-नैदानिक चरण (pre-clinical stage) में है। मानव परीक्षण शुरू होने बाकी हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि दवा को बाजार में आने में अभी 5-7 साल लग सकते हैं।
क्या यह सभी को फायदा पहुंचाएगी?
नहीं। यह ड्रॉप सभी प्रकार के मोतियाबिंद के लिए प्रभावी नहीं पाई गई। यह उन मामलों में सफल रही जहां मोतियाबिंद का कारण प्रोटीन जमाव था। इसलिए शोधकर्ता इसे व्यक्तिगत उपचार प्रणाली की दिशा में विकसित कर रहे हैं।
यह शोध भविष्य की चिकित्सा का संकेत है। अगर यह इंसानों पर भी कारगर सिद्ध होती है तो दुनिया के करोड़ों लोगों को अंधकार से उबारने का मार्ग खुल जाएगा और वह भी बिना ऑपरेशन के।