● एलन मस्क की न्यूरॉलिंक तकनीक ने रचा इतिहास

सैन फ्रांसिस्को।
जब इच्छाशक्ति को तकनीक का साथ मिलता है, तब असंभव भी संभव होने लगता है। इसका जीवंत उदाहरण बनीं ऑड्रे क्रीव्स जो बीते 20 वर्षों से पूरी तरह लकवाग्रस्त थीं। अब उन्होंने सिर्फ अपनी सोच से कंप्यूटर को नियंत्रित कर अपना नाम लिखा।
यह उपलब्धि एलन मस्क की कंपनी न्यूरॉलिंक की उस महत्वाकांक्षी परियोजना का हिस्सा है, जिसमें मस्तिष्क में विशेष चिप इम्प्लांट कर व्यक्ति के विचारों को डिजिटल कमांड में बदला जा सकता है। ऑड्रे, न्यूरॉलिंक के प्राइम ट्रायल की प्रतिभागी हैं और अब उन्होंने अपने X (पूर्व ट्विटर) हैंडल @NeuraNova9 पर यह भावुक क्षण साझा किया। उन्होंने लिखा, ‘मैंने 20 साल में पहली बार अपना नाम लिखने की कोशिश की… मैं प्रयास कर रही हूं।’
न्यूरॉलिंक की यह चिप अत्यंत बारीक 128 थ्रेड्स से बनी है, जो मोटर कॉर्टेक्स से जुड़कर मस्तिष्क की विद्युत तरंगों को पढ़ती है। ब्लूटूथ के ज़रिए यह कंप्यूटर तक पहुंचाकर उपयोगकर्ता को मानसिक रूप से संचालन की क्षमता देती है।
मस्क ने कहा, ‘वह अब अपने विचारों से कंप्यूटर नियंत्रित कर रही हैं। ज़्यादातर लोग यह सोच भी नहीं सकते कि यह संभव है।’
यह तकनीक अभी ट्रायल चरण में है परंतु इसकी सफलता से दिव्यांग जनों के जीवन में एक नई रोशनी की उम्मीद जगी है जहां शरीर भले ही थम जाए, मन की उड़ान अब बंधनमुक्त हो चुकी है।
स्रोत:
News.com.au
IndiaTimes.com
NDTV.com