● युवाओं में क्यों बढ़ रहा है कॉर्नियल ब्लाइंडनेस?

नई दिल्ली।
देश की राजधानी में आयोजित इंडियन सोसाइटी ऑफ कॉर्निया एंड केराटो-रिफ्रैक्टिव सर्जन्स के राष्ट्रीय सम्मेलन 2025 में आंखों की रोशनी से जुड़ी एक चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है। एम्स दिल्ली के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश सिन्हा ने खुलासा किया कि भारत में हर साल 20,000 से 25,000 लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस यानी कॉर्निया की वजह से होने वाली अंधता का शिकार हो रहे हैं और चिंता की बात यह है कि इनमें सबसे बड़ी संख्या युवाओं की है।
क्या है कॉर्नियल ब्लाइंडनेस?
कॉर्निया, आंख का वह पारदर्शी हिस्सा है जो रोशनी को रेटिना तक पहुंचाने का कार्य करता है। जब यह हिस्सा चोट, संक्रमण, जलन, कुपोषण या किसी बाहरी कारक से क्षतिग्रस्त हो जाता है तो यह धुंधला या अपारदर्शी हो सकता है, जिससे व्यक्ति की दृष्टि पूरी तरह खत्म हो सकती है। इस स्थिति को ही कॉर्नियल ब्लाइंडनेस कहा जाता है।
ग्रामीण भारत में हालात और खराब
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के ग्रामीण इलाकों में यह स्थिति तेजी से बढ़ रही है। खेतों में काम करने वाले, ईंट-भट्टों, निर्माण स्थलों और फैक्ट्रियों में लगे युवा लड़के-लड़कियां अक्सर आंखों में हल्की चोट या जलन को नजरअंदाज कर देते हैं या फिर घरेलू नुस्खों पर भरोसा करते हैं, जिससे संक्रमण धीरे-धीरे बढ़ता है और समय रहते सही इलाज न मिलने पर आंख की रोशनी हमेशा के लिए चली जाती है।
डॉ. सिन्हा ने कहा, ‘आज हालात ऐसे हैं कि एक मामूली सी आंख की लालिमा या जलन अगर समय पर डॉक्टर को न दिखाई जाए तो वह व्यक्ति की जिंदगी भर की रौशनी छीन सकती है। दुखद यह है कि ऐसे 70 प्रतिशत से अधिक मामलों में अंधता को समय रहते रोका जा सकता है।’
रोकथाम के उपाय क्या हैं?
- आंखों में चोट लगने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं
- घरेलू नुस्खों से परहेज करें, खासकर संक्रमित या जलती आंखों पर
- प्रोटेक्टिव चश्मों का इस्तेमाल करें, खासकर खेतों या फैक्ट्री में काम करते समय
- स्वस्थ आहार लें, जिसमें विटामिन A जैसे पोषक तत्व शामिल हों
- आंखों की नियमित जांच करवाएं, विशेषकर यदि आंखों में बार-बार जलन, खुजली या धुंधला दिखना हो
स्रोत:
- Indian Society of Cornea and Kerato-Refractive Surgeons (ISCKRS) National Conference 2025
- एम्स दिल्ली, डॉ. राजेश सिन्हा का संबोधन