
मुंबई।
‘सफ़र में हूँ मैं मुसलसल सफ़र में रहने दे,
तेरी नज़र का सफ़र है नज़र में रहने दे…’
इन भावपूर्ण पंक्तियों से आरंभ हुई है उस लेखक की साहित्यिक यात्रा, जिसने अपने मन की गहराइयों से निकले विचारों को कागज पर उतारा और उन्हें ‘तो क्या होगा’ नामक संग्रह में समेट दिया।
देश के प्रतिष्ठित प्रकाशन ‘कौटिल्य बुक्स’ से प्रकाशित यह पुस्तक न केवल लेखक की प्रथम कृति है बल्कि उनके अंतरमन की बेचैनियों और जीवन के अनुभवों का दस्तावेज भी है। लेखक संतोष सिंह कहते हैं, ‘मन की व्याकुलता शब्द में कब परिवर्तित हुई, मुझे पता ही नहीं चला। जो भी कुछ कच्चा-पक्का लिखा है, वह आप सबके हवाले है।’
‘तो क्या होगा’ एक सवाल नहीं अपितु एक भाव है जो हर उस व्यक्ति के मन में उठता है जो सोचता है, महसूस करता है, और अपने भीतर के द्वंद्व को शब्दों में ढालना चाहता है।
यह पुस्तक अब Amazon पर उपलब्ध है और जो भी पाठक लेखक की संवेदनाओं से जुड़ना चाहते हैं, वे अपनी प्रति ऑर्डर कर सकते हैं।
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