रवीन्द्र मिश्रा@मुंबई

मुंबईकरों को पौराणिक कथाओं का ज्ञान वर्धन कराने वाली झांकी 16 अगस्त को सुबह 9 बजे उमरखाड़ी से निकाली जाएगी।
उमरखाड़ी सार्वजनिक गोकुलकाला मंडल के अध्यक्ष निवृत्ति फलके के अनुसार मंडल की ओर से प्रतिवर्ष पौराणिक कथाओं पर आधारित झांकियां तैयार की जाती हैं। मंडल के सदस्य एवं उनके परिवार इस झांकी को बनाने में हर संभव सहयोग करते हैं। इस वर्ष के गोविंदा उत्सव में कुल तीन झांकियां निकाली जा रही हैं।
पहली झांकी में 5 फुट ऊंचे रथ पर सवार 6 फुट के नरकासुर के साथ श्रीकृष्ण और सत्यभामा का दृश्य मुख्य आकर्षण होगा। पौराणिक मान्यता के अनुसार नरकासुर को यह वरदान था कि उसका वध केवल श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा के हाथों ही संभव होगा।
दूसरी झांकी में राजा द्रुपद को द्रौपदी के जन्म के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ करते हुए दर्शाया गया है।
तीसरी झांकी गुरु गोरक्षनाथ पर आधारित होगी।
यह शोभायात्रा 16 अगस्त को सुबह 9 बजे उमरखाड़ी से प्रारंभ होकर डोंगरी, चिंचवंदर, कुंभारवाड़ा, मुंबादेवी, भुलेश्वर, गिरगांव होते हुए देर शाम वापस उमरखाड़ी पहुंचेगी। रास्ते में जगह-जगह इस झांकी का भव्य स्वागत किया जाएगा। गिरगांव में इसके सम्मान के लिए विशेष मंच तैयार किया जाता है, जहां मंडल का सार्वजनिक अभिनंदन किया जाएगा।
अध्यक्ष निवृत्ति फलके ने बताया कि आज से 77 वर्ष पूर्व गोविन्द मामा ने इस मंडल की स्थापना की थी। इस वर्ष के 77वें उत्सव को सफल बनाने में प्रफुल्ल मोरे, शरद पाटिल, विद्या साल्वी, मुकेश गांवकर, सदानंद आचरेकर, नरेंद्र कांबली, पुरुषोत्तम पाटिल, श्रीधर गोवेकर, अभय चिंबुलकर, ज्ञानेश्वर ठाकुर, संदीप माली, सचिन राजा वाडकर, वसंत माली, महेंद्र सातमकर, गिरीश बोरेकर, प्रसाद भोसले तथा मंडल के सभी पदाधिकारी व कार्यकर्ता अहम भूमिका निभा रहे हैं।