● उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांतदादा पाटील का आह्वान

मुंबई।
देश की कर्तबगार महिलाओं का आदर्श आज की छात्राओं को अपनाना चाहिए और अपने-अपने क्षेत्र में अग्रसर रहना चाहिए। यह प्रेरक उद्गार उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांतदादा पाटील ने व्यक्त किए।
सिडनहैम कॉलेज की पूर्व छात्रा और एशिया महाद्वीप की पहली महिला वाणिज्य स्नातक श्रीमती यास्मिन खुर्शीदजी सर्वेयर की डिग्री को 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की पहली महिला कर्मचारी श्रीमती यास्मिन सर्वेयर की स्मृति में बैंक के प्रायोजन से कॉलेज में स्थापित की गई उनकी अर्धप्रतिमा का अनावरण मंत्री चंद्रकांतदादा पाटील ने किया।
मंत्री पाटील ने बताया कि कु. यास्मिन सर्वेयर ने 18 अगस्त 1925 को सिडनहैम कॉलेज से वाणिज्य शाखा में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। उस समय महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा लेना दुर्लभ माना जाता था, इसलिए उनकी यह उपलब्धि ऐतिहासिक है। आज वाणिज्य क्षेत्र में पहचान बना रही महिलाओं के लिए श्रीमती सर्वेयर ने सौ साल पहले ही वाणिज्य विभाग के द्वार खोल दिए थे। आज की छात्राओं के लिए वे प्रेरणास्रोत हैं।
इस अवसर पर घोषणा की गई कि इस वर्ष से सिडनहैम कॉलेज और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में वाणिज्य विभाग में स्नातक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली छात्रा को श्रीमती यास्मिन सर्वेयर के नाम से एक लाख रुपये की विशेष छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी।

पूर्व छात्रा एवं प्रसिद्ध पार्श्वगायिका संजीवनी भेलांडे ने अंग्रेजी में अनुवादित मीराबाई की रचनाएँ प्रस्तुत कीं। इस अवसर पर मंत्री पाटील ने कॉलेज के लिए एक नई प्रतियोगिता की घोषणा की। इसके अंतर्गत संजीवनी भेलांडे हर महीने मीराबाई की एक रचना देंगी, जिसका अर्थपूर्ण विवेचन अपने स्वर में करने वाले छात्र-छात्राओं को पच्चीस हजार रुपये का नगद पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस प्रतियोगिता की शुरुआत अभी से की जाए।
इस अवसर पर मुंबई की जिलाधिकारी श्रीमती आंचल गोयल, डॉ. होमी भाभा स्टेट यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रा. रजनीश कामत, सिडनहैम की पूर्व छात्रा श्रीमती दिलनवाज़ वारियावा, प्रसिद्ध गायिका संजीवनी भेलांडे, यास्मिन सर्वेयर के परिजन श्री सोली कूपर, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की श्रीमती पाॅपी शर्मा, सिडनहैम कॉलेज के प्राचार्य श्रीनिवास धुरु, प्रोफेसरगण और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य डॉ. श्रीनिवास धुरु ने सभी का आभार व्यक्त किया।