
नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पिछले आठ वर्षों में अब तक की सबसे बड़ी कर कटौती की घोषणा की है। इस कदम से जहाँ सरकार की आय पर दबाव बढ़ेगा, वहीं उद्योग जगत और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय मोदी की छवि को और मज़बूत करेगा, विशेषकर उस दौर में जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव जारी है। साथ ही, इसका सीधा असर बिहार विधानसभा चुनावों पर भी देखने को मिल सकता है।
सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में व्यापक बदलाव करते हुए कई रोज़मर्रा की वस्तुओं और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को सस्ता करने का रास्ता खोला है। नया कर ढांचा अक्टूबर से लागू होगा। इसके तहत टूथपेस्ट, साबुन, हेयर ऑयल, मोबाइल फ़ोन, कंप्यूटर, सिलाई मशीन, साइकिल, एल्यूमीनियम-स्टील के बर्तन, ब्रांडेड परिधान और कई दवाइयाँ अब कम दामों पर मिलेंगी। इसका लाभ उपभोक्ताओं के साथ-साथ उद्योगों को भी होगा।
हालाँकि, राहत के साथ इसकी बड़ी कीमत भी चुकानी होगी। चूँकि जीएसटी केंद्र और राज्यों की आय का प्रमुख स्रोत है, इसलिए इन कटौतियों से हर साल लगभग 20 अरब डॉलर का नुक़सान होने का अनुमान है। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के मुताबिक, इन सुधारों से अगले 12 महीनों में भारत की जीडीपी में 0.6 प्रतिशतकी बढ़ोतरी हो सकती है।