● भाजपा के प्रथम प्रदेश अध्यक्ष: माधव प्रसाद त्रिपाठी का अद्वितीय योगदान

■ मनोज श्रीवास्तव@लखनऊ
उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रथम अध्यक्ष स्व. माधव प्रसाद त्रिपाठी जी का जन्म 1917 में बस्ती जिले (वर्तमान सिद्धार्थनगर) के बांसी तहसील के ग्राम तिवारीपुर में हुआ था। उनके पिता एक प्रसिद्ध विद्वान और स्वतंत्रता आंदोलन के सक्रिय कार्यकर्ता थे। बचपन से ही तेजस्वी माधव जी ने कम उम्र में ही समाज सेवा के गुण दिखा दिए थे।
1937 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी में अध्ययनरत रहते हुए वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े। उनकी भेंट संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार से हुई, जिन्होंने शाखा में उनसे बौद्धिक चर्चा की। 1942 में माधव जी ने अपना जीवन संघ कार्य के लिए पूर्णकालिक रूप से समर्पित कर दिया। नागपुर में 40-दिवसीय ग्रीष्मकालीन आरएसएस शिविर में भाग लेकर उन्होंने संघ शिक्षा का प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद वे आजीवन प्रचारक बने। उन्होंने लखीमपुर जिले में प्रचारक और 1955 से उत्तर प्रदेश के संयुक्त प्रांत प्रचारक (क्षेत्रीय आयोजक) के रूप में कार्य किया। उनके प्रवचनों में संघ की शुद्ध विचारधारा स्पष्ट झलकती थी।
1951 में जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की, तब दीनदयाल उपाध्याय सहित कई प्रचारकों की तरह माधव बाबू ने भी राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने संगठन को खड़ा करने में अहम योगदान दिया।
माधव प्रसाद त्रिपाठी 1958-62 तक विधान परिषद सदस्य, 1962-66 और 1969-77 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा सदस्य और 1977 में डुमरियागंज से लोकसभा सदस्य रहे। वे विपक्ष के नेता और मंत्री पद पर भी आसीन रहे। संगठन में उनकी पकड़ और नेतृत्व क्षमता के कारण उन्हें भाजपा का पहला प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।

वे पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई वरिष्ठ नेताओं राजनाथ सिंह, कलराज मिश्र, डॉ. महेंद्रनाथ पांडे और स्व. हरीश श्रीवास्तव के मार्गदर्शक रहे। अटल बिहारी वाजपेयी उनके सबसे करीबी सहयोगियों में थे। विरोधी दलों में भी वे सम्मानित थे। एक प्रसंग प्रसिद्ध है कि जब वे विधानसभा चुनाव स्वतंत्रता सेनानी प्रभुदयाल विद्यार्थी से हार गए, तब चौधरी चरण सिंह ने अपनी पार्टी के विधायकों से समर्थन दिलाकर उन्हें विधान परिषद में भेजा।
उनके मित्र भोला श्रीवास्तव, जो बांसी के रहने वाले थे, जीवनभर भाजपा कार्यालय में सेवा करते रहे। वे कार्यालय का भोजन और रसोई संभालते थे और वहीं सेवा करते-करते उनका निधन हुआ। उनके परिवार को कोई विशेष सहारा नहीं मिला, लेकिन भोला जी की निष्ठा ने उन्हें ‘भोला चाचा’ के रूप में सबका प्रिय बना दिया।
6 अप्रैल 1980 को मुंबई में भाजपा की स्थापना हुई। अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। उत्तर प्रदेश में संगठन के लिए किसी सर्वस्पर्शी और कुशल संगठक की आवश्यकता थी। अटल जी और केंद्रीय नेतृत्व ने यह जिम्मेदारी माधव बाबू को सौंपी। पहले उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से असमर्थता जताई, किंतु अटल जी ने पत्र लिखकर कहा, ‘संगठन के विस्तार के लिए आपका मरना उचित है या पार्टी का मरना?’ इस पत्र के बाद माधव बाबू ने अध्यक्ष पद स्वीकार कर लिया।
19 अगस्त 1985 को लखनऊ रेलवे स्टेशन पर उन्हें हृदयाघात हुआ और वे इस संसार से विदा हो गए। उनका जीवन इस सत्य का उदाहरण है कि संगठन और राष्ट्र के लिए समर्पण ही सच्चा नेतृत्व है। आज भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में खड़ी है तो उसके पीछे माधव बाबू जैसे महापुरुषों का त्याग और तपस्या है।
उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।