● ‘रुस-अमेरिका की कोशिश दिखावा’
● ‘शांति की कुंजी हमारी संस्कृति में’

मुंबई।
‘विश्व शांति के लिए रूस और अमेरिका के प्रयास केवल दिखावा हैं। ये दोनों ही देश एकदूसरे को दबाना चाहते हैं। इसीलिए विश्व शांति के उनके प्रयास विफल हो रहे हैं। वास्तव में विश्व में जिनके कारण अशांति है, वे ही शांति लाने का दिखावा कर रहे हैं। यह पानी में बैठे बगुला की दृष्टि जैसा है जो एकाग्र सा दिखता है लेकिन शिकार देखते ही चोंच मार देता है। विश्व में वास्तविक शांति लाने में भारत की भूमिका ही महत्वपूर्ण होगी। भारत को इस पर विचार करना होगा और अपनी भूमिका निभानी होगी। विश्व शांति के लिए भारग को ही भारत के पास विश्व शांति बहाल करने की कुंजी है। विश्व में शांति, सद्भाव और समृद्धि का रास्ता भारत ही खोल सकता है। के लिए भारत की पहली कामयाब होगी। भारत विश्वगुरु रहा है और सारी दुनिया को मार्गदर्शन देता रहा है आज भी विश्व भारत के मार्गदर्शन का इंतजार कर रहा है। भारत एक बार फिर वह विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर है।’ यह बात बद्रीधाम के ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने यहां मुंबई में कही। महाराजश्री का दिव्य-भव्य चातुर्मास्य व्रत महामहोत्सव यहां मुंबई में बोरीवली स्थित कोराकेंद्र ग्राउंड पर चल रहा है। इस दौरान 33 कोटी गौप्रतिष्ठा महायज्ञ और अनेक धार्मिक-आध्यात्मिक अनुष्ठान निरंतर जारी हैं।

इस अवसर पर विश्व शांति के लिए सनातन धर्मानुयायियों और साधु-संतों, आध्यात्मिक विद्वानों की भूमिका को उन्होंने महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि भारत में शांति फैलाने का सामर्थ्य है। विश्व शांति के लिए जब भारत अपनी भूमिका निभाएगा तभी सफलता प्राप्त होगी। रुस और अमेरिका की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि जो खुद ही अशांत है, वह कहां से शांति लाएगा। भारत के साधु संत और आध्यात्मवेत्ताओं से श्रद्धापूर्वक पूछा जाए तो वे विश्व शांति की राह बता और बना सकते हैं।