● दिल्ली से वृंदावन पदयात्रा 7 नवंबर से

मथुरा।
आगामी नवंबर में दिल्ली से वृंदावन तक 140 किलोमीटर लंबी पदयात्रा केवल कदमों की थकान नहीं होगी बल्कि यह सनातन चेतना की अग्निपरीक्षा होगी। बागेश्वरधाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने घोषणा की है कि 7 नवंबर से 15 नवंबर तक चलने वाली यह यात्रा हिंदू राष्ट्र की भावना को प्रज्वलित करने के लिए है।
दरअसल, वृंदावन के कृष्णकृपा धाम में हुई बैठक में संत, धर्माचार्य और तीर्थपुरोहित एक स्वर से बोले कि ब्रजभूमि में मांस और मदिरा का निषेध होना चाहिए। यह केवल धार्मिक आग्रह नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आत्मरक्षा का सवाल है। शास्त्री ने साफ कहा, ‘भारत को खंड-खंड करने की तैयारी हो रही है। विदेशी ताकतें सक्रिय हैं और लव जिहाद जैसे षड्यंत्रों से सनातन संस्कृति पर कुठाराघात हो रहा है।’
यह वक्तव्य केवल एक साधु का भावुक कथन नहीं है बल्कि उस जनमानस की बेचैनी का आईना है, जो परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन साधने की कोशिश में है। हिंदू राष्ट्र की मांग लंबे समय से बहस का विषय रही है लेकिन अब इसे लेकर ज़मीन पर आंदोलन की तैयारी स्पष्ट दिखाई देती है।
यात्रा का प्रतीकात्मक संदेश भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। यमुना का प्रदूषण, गोमाता की दुर्दशा और ब्रजभूमि का संकट, ये सब भी इस पदयात्रा से जुड़ रहे हैं। यानी बात केवल राजनीति की नहीं बल्कि जीवन-शैली और सांस्कृतिक संरक्षण की भी है।
प्रश्न यह है कि क्या यह पदयात्रा वास्तव में सनातन एकता का सूत्रपात करेगी या केवल भावनात्मक लहर पैदा कर थम जाएगी? धीरेंद्र शास्त्री की पहल इस प्रश्न को और गहरा करती है कि क्या हिंदू राष्ट्र का विचार अब जनआंदोलन में बदलने की ओर बढ़ रहा है?