
नई दिल्ली।
मानव मस्तिष्क आकार में भले ही छोटा हो, लेकिन ऊर्जा खपत के मामले में यह शरीर का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। औसतन मस्तिष्क शरीर के कुल भार का केवल 2% हिस्सा होता है, फिर भी यह शरीर की कुल ऊर्जा का लगभग 20% उपयोग करता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार यह ऊर्जा मुख्यतः ग्लूकोज़ से मिलती है। मस्तिष्क को निरंतर ऊर्जा की आवश्यकता होती है ताकि वह सोचने, याद रखने, निर्णय लेने और शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित करने जैसे जटिल कार्य सुचारू रूप से कर सके। यही ऊर्जा तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संदेशों का आदान-प्रदान सुनिश्चित करती है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि यदि मस्तिष्क को पर्याप्त ऊर्जा न मिले तो स्मृति कमजोर पड़ सकती है, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है और शरीर के स्वचालित कार्य भी प्रभावित हो सकते हैं।
यह तथ्य कई वैज्ञानिक शोधों से प्रमाणित है। उदाहरण के लिए-
National Institutes of Health (NIH) के अनुसार मस्तिष्क शरीर की ऊर्जा का पाँचवाँ हिस्सा खर्च करता है।
Scientific American की एक रिपोर्ट बताती है कि आराम की स्थिति में भी मस्तिष्क लगातार ऊर्जा का उपभोग करता रहता है।
Harvard Medical School के न्यूरोसाइंटिस्ट्स के अध्ययन बताते हैं कि यह ऊर्जा विशेष रूप से न्यूरॉन्स और सिनैप्स के कार्य को बनाए रखने में लगती है।
इस प्रकार, शरीर के वजन की तुलना में बेहद छोटा होने के बावजूद, मस्तिष्क की ऊर्जा खपत उसकी जटिलता और महत्व को स्पष्ट करती है।