● जापानी वैज्ञानिकों ने किया अनोखा प्रयोग

क्योटो/टोक्यो।
विज्ञान ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। जापान के क्योटो स्थित ATR Computational Neuroscience Laboratories में वैज्ञानिकों ने ऐसा प्रयोग किया है, जिसमें इंसानी दिमाग में नींद के दौरान बनने वाले संकेतों को पढ़कर सपनों को दृश्य रूप में पुनर्निर्मित किया गया।
कैसे काम करता है यह सिस्टम?
इस तकनीक में fMRI (functional Magnetic Resonance Imaging) मशीन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का इस्तेमाल किया गया। प्रयोग के दौरान नींद में मौजूद व्यक्तियों के मस्तिष्क की गतिविधि रिकॉर्ड की गई और AI की मदद से उन संकेतों को चित्रों के रूप में दोबारा बनाया गया। इन तस्वीरों में चेहरे, आकृतियाँ और वस्तुएँ धुंधली लेकिन पहचानने योग्य रूप में दिखाई दीं।
कितनी मिली सफलता?
वैज्ञानिकों के अनुसार प्रयोग में लगभग 60% तक सटीकता प्राप्त हुई। जब विशेष दृश्य तत्वों पर ध्यान केंद्रित किया गया तो सटीकता 70% से अधिक तक पहुँची। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक अभी शुरुआती स्तर पर है और आने वाले वर्षों में इसे और उन्नत बनाया जा सकता है।
‘हेडसेट’ नहीं, जटिल मशीन
हालाँकि कई रिपोर्ट्स में इसे ‘हेडसेट’ बताया जा रहा है, लेकिन फिलहाल यह कोई पहनने योग्य उपकरण नहीं बल्कि बड़ी और महंगी fMRI मशीन है, जिसे प्रयोगशाला तक ही सीमित रखा गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में छोटे और व्यावहारिक उपकरण भी विकसित हो सकते हैं।
संभावनाएँ और खतरे
इस खोज से मानसिक स्वास्थ्य उपचार, आघात से उबरने और सृजनात्मकता बढ़ाने जैसे क्षेत्रों में नई संभावनाएँ खुल सकती हैं। लेकिन इसके साथ ही गंभीर चिंताएँ भी सामने आ रही हैं—
क्या सपनों की रिकॉर्डिंग से गोपनीयता खतरे में पड़ जाएगी?
क्या कोई व्यक्ति बिना अनुमति दूसरों के सपने चुरा सकेगा?
क्या यह तकनीक मानसिक दबाव और दुरुपयोग का कारण बनेगी?
वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि यह शोध अभी प्रारंभिक चरण में है और इसकी सीमाएँ भी हैं। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि यह खोज आने वाले समय में मानव चेतना और सपनों की दुनिया को समझने की दिशा में एक नया अध्याय खोल सकती है।
सोर्स: Times of India, India Today, TBS News, New York Post