● भाजपा का दावा, 14 सांसदों ने क्रॉसवोटिंग की
● ‘स्वयंसेवक’ से उपराष्ट्रपति तक की अनूठी यात्रा

नई दिल्ली।
सी. पी. राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए। उन्हें कुल 452 वोट प्राप्त हुए। भाजपा ने दावा किया है कि चुनाव में 14 सांसदों ने क्रॉसवोटिंग की, जिससे परिणाम प्रभावित हुए। राधाकृष्णन ने अपने प्रतिद्वंद्वी और INDIA गठबंधन के बी सुदर्शन रेड्डी को परास्त किया। सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले हैं। राधाकृष्णन अब राज्यसभा के सभापति के रूप में अपनी नई जिम्मेदारी निभाएँगे, जहाँ उन्हें सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच संतुलन बनाए रखना होगा।
ज्ञात हो कि किशोरावस्था में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े एक साधारण स्वयंसेवक से लेकर देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुँचना, यह यात्रा चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन को विशेष बनाती है।
जनसंघ से राजनीति की शुरुआत कर वे 1990 के दशक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद बने। समर्थक उन्हें लंबे समय से ‘तमिलनाडु के मोदी’ कहकर पुकारते रहे हैं। अब वे उपराष्ट्रपति पद पर आसीन हुए हैं, जहाँ उनकी भूमिका और भी व्यापक होगी।
राज्यसभा के सभापति के रूप में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सामंजस्य बनाए रखने की होगी। बीते वर्षों में विपक्ष ने आसन की निष्पक्षता पर प्रश्न उठाए हैं, ऐसे में राधाकृष्णन की कार्यशैली पर सभी की नज़रें रहेंगी।
सार्वजनिक जीवन से परे, राधाकृष्णन अपने सरल स्वभाव और सामाजिक प्रतिबद्धता के लिए भी जाने जाते हैं। वे शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी पहलों से जुड़े रहे हैं तथा तमिलनाडु में युवा पीढ़ी को जागरूक करने में उनका सक्रिय योगदान रहा है। राजनीति के साथ-साथ समाजसेवा को महत्व देने वाली उनकी यह छवि उन्हें और भी अलग पहचान दिलाती है।