● नेपाल की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की पढ़ाई BHU से, जीवनसाथी भी यहीं मिला

वाराणसी।
नेपाल की राजनीति में बड़ा बदलाव सामने आया है। राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की और प्रधानसेनापति अशोक राज सिग्देल के बीच निर्णायक बैठक के बाद संसद विघटन और नई सरकार गठन पर सहमति बन गई है। इसके साथ ही नेपाल में अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर सुशीला कार्की के नाम पर मुहर लग गई है। यह निर्णय नेपाल के लोकतांत्रिक भविष्य को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है, वहीं इस ऐतिहासिक मौके का सीधा यूपी कनेक्शन भी है। दरअसल, सुशीला कार्की की शिक्षा और जीवन का अहम हिस्सा वाराणसी से जुड़ा हुआ है।
बीएचयू से की उच्च शिक्षा
नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकीं सुशीला कार्की ने वर्ष 1975 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से राजनीति विज्ञान में परास्नातक (एम.ए.) की पढ़ाई पूरी की थी। बीएचयू से उनकी यह डिग्री उनके राजनीतिक और विधिक करियर की मजबूत नींव साबित हुई। यही कारण है कि उनकी नियुक्ति की खबर सुनते ही बीएचयू परिसर में चर्चा का माहौल बन गया। विश्वविद्यालय के कई विभागों में उनके छात्र जीवन और नेपाल में उनकी भूमिका को लेकर बातचीत का दौर जारी है। शुक्रवार को उनके अंतरिम प्रधानमंत्री बनने की खबर जैसे ही सामने आई, कैंपस में गहमागहमी और गर्व का वातावरण दिखाई दिया।
जीवनसाथी भी मिला वाराणसी में
केवल शिक्षा ही नहीं, सुशीला कार्की का निजी जीवन भी काशी से गहराई से जुड़ा है। बीएचयू में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई थी, जिनसे उन्होंने बाद में विवाह किया। सुशीला कार्की विराटनगर (नेपाल) के एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखती हैं और सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी संतान हैं।
नेपाल-भारत संबंधों को लेकर चर्चा
नेपाल में नई जिम्मेदारी मिलने के बाद वाराणसी के बुद्धिजीवियों और बीएचयू परिसर में यह चर्चा तेज हो गई है कि उनकी नियुक्ति भारत-नेपाल संबंधों पर सकारात्मक असर डालेगी। चूंकि उनका शैक्षणिक और व्यक्तिगत जीवन लंबे समय तक काशी से जुड़ा रहा है, इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि प्रधानमंत्री के तौर पर वह भारत के साथ रिश्तों को और मजबूत बनाएंगी।
नेपाल से काशी तक का सफर
सुशीला कार्की ने 1972 में नेपाल के विराटनगर स्थित महेंद्र मोरंग परिसर से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वह उच्च शिक्षा के लिए वाराणसी आईं और बीएचयू से राजनीति विज्ञान में परास्नातक किया। 1975 में पढ़ाई पूरी कर वह नेपाल लौटीं और 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने न्यायपालिका और सामाजिक जीवन में उल्लेखनीय भूमिका निभाई।